—- तपस्थली न बने भोगस्थली
झारखंड के जैन पर्यटन केन्द्र पर मचे घमासान के बीच शंकरचार्य सरस्वती ने कहा कि किसी भी िस्थति में तपस्थली को भोगस्थली बनने नहीं दिया जा सकता। पर्यटन केन्द्र बनेगा तो पंडे-पुजारी लाभान्वित होंगे। तीर्थ के मौलिक स्वरूप को क्षति न पहुंचे । वैज्ञानिक मत के आधार पर विकास की नीतियां बनीं। वेदों में इस तरह के संकट से बाहर आने के ज्ञान को विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ से भी मान्यता मिली है। विकास, राजनीति और पर्यावरण के बीच संतुलन साधने की आवश्यक्ता है।
मानसरोवर से कन्याकुमारी तक हिन्दू-स्थान शंकराचार्य सरस्वती ने कहा कि मानसरोवर पर्वत से लेकर कन्याकुमारी तक हिन्दू-स्थान है। हिंदू शब्द वेदों में उल्लेखित है।
— कोरोना देवी ने पुष्ट किया मनु का संविधान
हल्के- फुल्के सत्र में शंकराचार्य सरस्वती ने कहा कि मनु के संविधान में उल्लेखित संहिताओं पर कोरोना देवी ने मुहर लगा दी है। साफ सफाई के सिद्धांतों का पालन, संक्रमण से बचाव के उपाय आवश्यक हुए हैं।
बताशा नहीं मिलता तो राबड़ी ले लें ममता राजनीतिक विवाद में कूद पड़े शंकराचार्य सरस्वती ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से केन्द्र पर गंगासागर में बताशा भी नहीं दिए जाने के बयान पर कहा कि वे इसे अवसर समझें केन्द्र के असहयोग का लाभ उठाएं। उन्हें तो इसे अवसर समझना चाहिए। उन्हें केन्द्र सरकार की यह अवसर उपलब्ध करा रही है। सरकार को बताशे की जगह राबड़ी ले लेनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सलाह दी और कहा कि केन्द्र जब अच्छा काम करे तो राज्य सरकार को उसका खंडन नहीं करना चाहिए।