कोलकाता बॉलीवुड फिल्म जगत की प्रसिद्ध अदाकारा और भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने शुक्रवार को 40 साल पहले फिल्म शोले में अपने निभाए गए किरदार ‘बसंती’ को अब भी महिला सशक्तिकरण का प्रतीक होने का दावा किया। कोलकाता में आयोजित इंफोकॉम 2018 के इन द स्पॉटलाइट विषय सत्र के दौरान गुरुवार को उन्होंने कहा कि फिल्म ‘शोले’ में उनका निभाया गया किरदार ‘बसंती’ चालीस साल बाद भी महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बना हुआ है। बसंती बॉलीवुड फिल्मों की पहली ऐसी महिला किरदार है जो तांगा चलाती है और आज की तारीख तक वह महिलाओं के सशक्तीकरण का प्रतीक बनी हुई है। वे उत्तर प्रदेश के मथुरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। पद्मश्री से सम्मानीत हेमा मालिनी ने कहा कि कि अब वे जब भी प्रचार के लिए जाती तो उन्हें बताती है कि उनका योगदान फिल्म शोले की बसंती वाले किरदार कम नहीं है।उन्होंने कहा कि महिलाएं कठोर परिश्रम करती हैं और आदिवासी अथक परिश्रम करते हैं। वे उन्हें नमन करती है। उनसे पूछा गया क्या वह अपने 50 साल के लंबे फिल्मी कैरियर में अपने अभिनित किसी अन्य भूमिका से ज्यादा लोकप्रिय है। जवाब में 70 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने अनेक फिल्मों में अभिनय किया है। लेकिन उन में से लोग को फिल्म शोले याद है। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि यह चरित्र लोकप्रिय हो गया था। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने महान फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ काम क्यों नहीं किया। इस सवाल के जवाब में पद्मश्री सम्मान से सम्मानीत हेमा मालिनी ने कहा कि उन्हें ऑस्कर पुरस्कार विजेयता सत्यजीत रे की फिल्मों में काम करने का मौका नहीं मिला। अगर सत्यजीत रे उन्हें अपनी फिल्मों में काम करने का मौका देते तो वे अवश्य उनकी फिल्मों में काम करती। एक अन्य सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि एफसी मेहरा की फिल्म ‘लाल पत्थर’ उनकी सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। उन्होंने फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे अभिनेता राजकुमार के कहने पर इसमें नकारात्मक चरित्र किया था। इसी तरह उन्होंने किशोर कुमार के कहने पर बांग्ला भाषा में दो गीत भी गाए। उन्होंने कहा कि उनके फैन्स और कला के रसीक अलग-अलग हैं। उनके अनुसार उनके डांस शो में आने वाले लोग हमारा डांस नंबर्स देखते हैं, लेकिन जब कभी वे चुनाव प्रचार करने जाती है तो लोग हमे इस लिए देखने आते हैं, क्योंकि हम बॉलीवुड फिल्म के कलाकार हैं।