कोलकाता

गंगासागर के अलावा बंगाल में और 15 लगते हैं लोकप्रिय मेले

पश्चिम बंगाल का गंगासागर मेला देश ही नहीं दुनिया भर में श्रद्धालुओं की आस्था और शास्त्रों में महातीर्थ के कारण चर्चित है। इस साल यहां मकर संक्रांति के मौके पर 1.10 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। इसके आयोजन पर राज्य सरकार ने 250 करोड़ रुपए खर्च किए। बंगाल में सिर्फ गंगासागर ही नहीं बल्कि इस तरह के 15 लोकप्रिय मेलों का आयोजन होता है। जहां भारत के विभिन्न राज्यों से लोग हिस्सा लेने आते हैं। लोग कहते हैं कि पश्चिम बंगाल को समझने के लिए यहां के लोकप्रिय मेलों और प्रदर्शनियों को देखना जरूरी है।

कोलकाताJan 18, 2025 / 03:30 pm

Rabindra Rai

गंगासागर के अलावा बंगाल में और 15 लगते हैं लोकप्रिय मेले

जहां, लाखों की होती है भीड़, हर मेले का है अपना महत्व और लोकप्रियता

पश्चिम बंगाल का गंगासागर मेला देश ही नहीं दुनिया भर में श्रद्धालुओं की आस्था और शास्त्रों में महातीर्थ के कारण चर्चित है। इस साल यहां मकर संक्रांति के मौके पर 1.10 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। इसके आयोजन पर राज्य सरकार ने 250 करोड़ रुपए खर्च किए। बंगाल में सिर्फ गंगासागर ही नहीं बल्कि इस तरह के 15 लोकप्रिय मेलों का आयोजन होता है। जहां भारत के विभिन्न राज्यों से लोग हिस्सा लेने आते हैं। लोग कहते हैं कि पश्चिम बंगाल को समझने के लिए यहां के लोकप्रिय मेलों और प्रदर्शनियों को देखना जरूरी है। मेले ही बंगाल के गांवों को जानने का एकमात्र जरिया हैं। बंगाल में गंगासागर के अलावा पौष मेला, छउ झुमुर, जयदेव केंदुली मेला, जलपाईगुड़ी का जलपेश मेला, कूचबिहार का रास मेला, बीरभूम का चंडीदास मेला, दीघा का बीच फेस्टिवल, दार्जिलिंग का तीस्ता चाय और पर्यटन महोत्सव, कोलकाता पुस्तक मेला, शांतिनिकेतन का वसंत महोत्सव, मालदह का आम व पर्यटन महोत्सव, पूर्व मेदिनीपुर का भीम मेला, मेदिनीपुर का चरक मेला समेत कई मेले अपने महत्व और आयोजन के कारण चर्चित हैं। देश के विभिन्न प्रदेशों के लोग इन मेलों में व्यवसायिक उद्देश्य से हो या मेले की रौनक को देखने के लिए समय का इंतजार करते हैं।

शांतिनिकेतन का पौष मेला

शांतिनिकेतन का पौष मेला पश्चिम बंगाल के अन्य प्रसिद्ध मेलों में से एक है। यह शांतिनिकेतन में आयोजित किया जाता है, जो कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती का प्रांगण है। यह मेला पौष (दिसंबर-जनवरी) महीने में लगता है और तीन दिन तक चलता है। यह वह समय है जब पूरे बंगाल और भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं और फसल कटाई के बाद यहां आकर मौसम का जश्न मनाते हैं। मेले में पारंपरिक हस्तशिल्प, भोजन और कपड़े बेचने वाले विभिन्न स्टॉल हैं। नृत्य और संगीत प्रदर्शन जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शन भी होते हैं।

पुरुलिया का छउ झुमुर महोत्सव

छउ झुमुर उत्सव पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में वार्षिक तीन दिवसीय उत्सव है। इस दौरान लोग पुरुलिया की पारंपरिक और सांस्कृतिक लोक कलाओं जैसे छउ और झुमुर का लुत्फ उठाते हैं। छउ एक जीवंत, रंगीन नृत्य नाटक है जो विभिन्न पौराणिक कहानियों को प्रस्तुत करता है। ये सभी नृत्य और लोकगीत इस समाज के नैतिक और नैतिक मूल्यों की याद दिलाते हैं। झुमुर नृत्य छोटानागपुर पठार का एक लोक कला रूप है जो पश्चिम बंगाल के कई जिलों को कवर करता है।

बीरभूम का जयदेव केंदुली मेला

जयदेव केंदुली मेला बीरभूम जिले के जयदेव केंदुली गांव में आयोजित होने वाला एक मेला है। यह मेला जनवरी के महीने में आयोजित होता है और दो दिन तक चलता है। पूरे बंगाल और भारत से लोग फसल कटाई के बाद अपने समय का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। मेले में पारंपरिक हस्तशिल्प, भोजन और कपड़े बेचने वाले विभिन्न स्टॉल लगते हैं। नृत्य और संगीत जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शन भी होते हैं।

शांतिनिकेतन का वसंत महोत्सव

यह बंगाल के लोगों का एक ऐसा त्योहार है जिसमें वसंत ऋतु का जश्न मनाया जाता है। यह मार्च महीने में आयोजित किया जाता है। महोत्सव के दौरान संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक आयोजन इस उत्सव के मुख्य आकर्षण हैं।

कोलकाता का पुस्तक मेला

कोलकाता पुस्तक मेला हर साल जनवरी महीने में महानगर में आयोजित होने वाला एक वृहतर पुस्तक मेला है। यह मेला फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। मेले में दुनिया भर से किताबें बेचने वाले प्रकाशक अपने स्टॉल लगाते हैं। लगभग एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में पिछले साल 30 लाख से अधिक पुस्तक प्रेमियों ने हिस्सा लिया था। इस मेले के दौरान हर दिन नृत्य, संगीत और टॉक शो आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

खेला और मेला लोगों को आपस में जोड़ते

खेला और मेला लोगों को आपस में जोड़ते हैं। लोगों में प्रेमभाव पैदा करता है। साथ ही स्वरोजगार के माध्यम से महिला-पुरुषों को कुछ आय करने का प्रबंध भी करता है। बंगाल में लगने वाले हर मेले में महिलाओं को सशक्त करने के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। महिला सेल्फ हेल्फ ग्रुप को बाजार में खुद निर्मित वस्तुओं को बेचने के लिए मेला कमेटी की ओर से प्रोत्साहन भी दिया जाता है।
कल्याण बनर्जी, तृणमूल सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता

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