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खरगोन

खरगोन के जंगलों में है दुर्लभ सफेद पलाश का पेड़, रहता है पहरा

वन विभाग के अफसरों ने कहा- सफेद पलाश के संरक्षण को लेकर कोई प्लान नहीं, जिले में संख्या कितनी इस पर भी संशय

खरगोनApr 03, 2022 / 10:43 pm

Amit Onker

Palash tree

पिपलझोपा के जंगलों में देखा गया एक मात्र सफेद फूल वाला पलाश।

खरगोन. सामान्य तौर पर खरगोन जिला सतपुड़ा और विध्याचल जैसे विशाल पर्वत श्रेणियों के बीच है। यहां जंगल क्षेत्र बहुतायत है, लेकिन यहां पनपने वाले दुर्लभ पेड़-पौधों के संरक्षण के इंतजाम नहीं है। ऐसे में सफेद पलाश जैसे उपयोगी पेड़ों की संख्या खत्म हो गई है। जिले में एक मात्र सफेद पलाश का पेड़ बिस्टान के ऊपरी जंगलों में देखा गया है। जिले में इसकी संख्या कितनी है, इनके संरक्षण की क्या व्यवस्था से इस पर वन विभाग भी संजिदा नहीं।

सतपुड़ा के जंगल अपने आप में औषधियों के भंडार है। यहां केसरिया पलाश की सुंदरता तो लदी है लेकिन इसी प्रजाति का सफेद पलाश विलुप्त हो गया है। एक मात्र पेड़ घने जंगल में देखा गया है। वनस्पति शास्त्र की रिटायर्ड प्रोफेसर पुष्पा पटेल व पर्यावरण पे्रमी पुष्पेंद्र वास्कले ने बताया सफेद फूलों वाले लता पलाश को औषधीय दृष्टिकोण से अधिक उपयोगी माना है। सफेद फूलों वाले लता पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया पार्वीफ्लोरा है जबकि लाल फूलों वाले को ब्यूटिया सुपर्बा कहा जाता है। पुष्पा पटेल ने बताया उन्होंने यह पेड़ सबसे पहले वर्ष 2006 में देखा था। उन्होंने वन विभाग को पत्र लिखकर इसे संरक्षित करने व प्रजाति को बढ़ाने की दिशा में मांग रखी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाया। पटेल ने बताया वर्ष 2006 में एक इंटरनेशनल सेमिनार पूना में हुआ था। इसमें उन्होंने 157 ट्री वैरायटी सहित खरगोन जिले के एक मात्र सफेद पलाश पर भी प्रजेंटेशन दिया था।

इसलिए प्रजाति संकट में
जानकारी के अनुसार पीले पुष्पों वाले पलाश का उपयोग तांत्रिक गतिविधियों में किया जाता है। इसलिए पिपलझोपा रोड पर स्थित पीले पलाश का रख-रखाव नहीं हो पाया है। इसे तांत्रिक विधियों में लिप्त रहने वाले लोग काट रहे हैं। जिले में पीले पलाश कई स्थानों पर है।

आदिवासी देवतुल्य मानकर पूजा करते है
जंगल में मिले एक मात्र सफेद फूल के पलाश को नागरिक देवतुल्य मानते हैं। इसकी पूजा भी करते हंै। किसी भी अन्जान व्यक्ति के इसके पास देखते ही उसे टोका जाता है। फिलहाल एकमात्र पेड़ की सुरक्षा आसपास के ग्रामीणों के हवाले ही है।

जिले में पलाश पेड़ों की संख्या ज्यादा है। सफेद पलाश कितने हैं इसकी संख्या स्पष्ट नहीं। विभाग के पास इसे संरक्षित करने का कोई वर्क प्लान नहीं है। न इसके प्लांटेशन को लेकर कोई योजना बनी है।
प्रशांतसिंह, डीएफओ, खरगोन

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