चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने बताया उनका करोड़ों का व्यापार है। २२ मार्च से वह घर में है। पहले रोजाना सुबह ऑफिस जाने के लिए भागमभाग होती थी। पूरा दिन काम करने के बाद देर रात घर आते थे, परिवार के सदस्यों से ही मुलाकात नहीं हो पाती थी, लेकिन अब सभी एक साथ है। हर विषय पर बात होती है। बड़ी बात यह है कि इन दिनों में आवश्यकताएं सीमित हो गई। पहले घर खर्च में ५० हजार लगते थे, लेकिन अभी १० हजार में भी काम चलता है। यह बड़ी सीख है।
प्रायवेट शैक्षणिक संस्था में काम करने वाले मुकेश शर्मा ने बताया लॉक डाउन के पहले कभी उगता हुआ सूरज इत्मिनान से नहीं देखा। लेकिन अभी रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठते हैं। सूरज कैसे निकलता है यह देखते हैं। भोर के समय पक्षियों का कलरव आनंदित करने वाला है। लॉक डाउन ने प्रकृति से जुडऩे का मौका दिया है। अब योग, व्यायाम के लिए भी पर्याप्त समय मिलत रहा है।
एक्सपर्ट टैक्नालॉजी के अमित पाटीदार बताते हैं लॉक डाउन के यह दिन हमें पुरानी जड़ों से जोड़ रहे हैं। बच्चों को समझने का मौका मिल रहा है। परिवार का महत्व क्या है यह समझ आने लगा है। अब पैसा महत्वपूर्ण नहीं है। इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण ने यह भी सीख दी है कि यदि विपत्ति कितनी भी बड़ी क्यों न हो धैर्य से एकाग्रचित्त होकर मुकाबला किया जाए तो जीत संभव है।