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खरगोन

अभी देख रहे हैं उगता सूरज, सून रहे हैं पक्षियों का कलरव, परिस्थितियों ने अदब से जीना सीखा दिया है…

सन्नाटे से प्रकृति का साक्षात्कार -लॉक डाउन के बीच पत्रिका ने जाने लोगों के अनुभव, पूछा लॉक डाउन में क्या खोया- क्या पाया, जवाब मिले- सन्नाटे के सहारे देख रह हैं प्रकृति के रंग

खरगोनApr 03, 2020 / 08:21 pm

Gopal Joshi

Nature interview with silence

लॉक डाउन के बीच पत्रिका ने जाने लोगों के अनुभव

खरगोन.
न वाहनों का शोरगुल न जीवन की आपाधापी। न बॉस का टेंशन न व्यापार-व्यवसाय की फिक्र। लॉकडाउन के बीच घरों में कैद लोग इन दिनों कोरोना वायरस के खौफ के बीच खूद के लिए जी रहे हैं। भय के बीच घरों में रहने की यह जिद अच्छी भी है, क्योंकि इस जिद के आगे जीत है, ऐसी जीत को हर व्यक्ति को नया जीवन देगी। प्रकृति से जुडऩे का नया अध्याय गढ़ेगी। लॉक डाउन के बीच पत्रिका ने लोगों की दिनचर्या और उनके अनुभव जाने तो कुछ ऐसी बातें निकलकर सामने आई जो सच का आइना दिखाने वाली हैं। लॉक डाउन में क्या खोया-क्या पाया के जवाब पूछने पर अधिकांश लोगों ने कहा- सन्नाटे के साये में ही सही लेकिन उन्होंने प्रकृति के विभिन्न रंग देखे। सूरज कैसे उदित होता है, पक्षियों का कलरव कैसे होता है इन सबका एहसास किया। लॉक डाउन के दौरान कुछ लोगों के ऐसे ही सुखद अनुभवों की यह खास रपट।
कम हुई आवश्यकताएं, प्रकृति से जुड़े
चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने बताया उनका करोड़ों का व्यापार है। २२ मार्च से वह घर में है। पहले रोजाना सुबह ऑफिस जाने के लिए भागमभाग होती थी। पूरा दिन काम करने के बाद देर रात घर आते थे, परिवार के सदस्यों से ही मुलाकात नहीं हो पाती थी, लेकिन अब सभी एक साथ है। हर विषय पर बात होती है। बड़ी बात यह है कि इन दिनों में आवश्यकताएं सीमित हो गई। पहले घर खर्च में ५० हजार लगते थे, लेकिन अभी १० हजार में भी काम चलता है। यह बड़ी सीख है।
देख रहे हैं उगता सूरज, सून रहे हैं पक्षियों का पहला कलरव
प्रायवेट शैक्षणिक संस्था में काम करने वाले मुकेश शर्मा ने बताया लॉक डाउन के पहले कभी उगता हुआ सूरज इत्मिनान से नहीं देखा। लेकिन अभी रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठते हैं। सूरज कैसे निकलता है यह देखते हैं। भोर के समय पक्षियों का कलरव आनंदित करने वाला है। लॉक डाउन ने प्रकृति से जुडऩे का मौका दिया है। अब योग, व्यायाम के लिए भी पर्याप्त समय मिलत रहा है।
पैसे का महत्व कम और परिवार का महत्व ज्यादा है, बता रहा समय
एक्सपर्ट टैक्नालॉजी के अमित पाटीदार बताते हैं लॉक डाउन के यह दिन हमें पुरानी जड़ों से जोड़ रहे हैं। बच्चों को समझने का मौका मिल रहा है। परिवार का महत्व क्या है यह समझ आने लगा है। अब पैसा महत्वपूर्ण नहीं है। इसके अलावा कोरोना वायरस के संक्रमण ने यह भी सीख दी है कि यदि विपत्ति कितनी भी बड़ी क्यों न हो धैर्य से एकाग्रचित्त होकर मुकाबला किया जाए तो जीत संभव है।

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