अब तक का रिकॉर्ड देखा जाए तो चार बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा ने जिले की सभी सीटों पर अपना कब्जा जमाया। इस बार भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही कड़ा मुकाबला है। दोनों पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। जिले में कांग्रेस 1957, 1972, 1985 और 1993 में सभी सीटें लाने में कामयाब हुई थी। 2018 विधानसभा चुनाव में भी छह सीटों में पांच सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते जबकि भगवानपुरा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई और बाद में डाबर ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया। इसी प्रकार 1977 (जनता पार्टी), 1990 में भाजपा सभी सीटों पर काबिज हुई। वर्ष 2012 में महेश्वर विधानसभा उपचुनाव के बाद भी भाजपा ने सभी सीटों पर कब्जा जमाया था।
अब तक का चुनावी इतिहास
* 1957 विधानसभा चुनाव
विधानसभा – प्रत्याशी – पार्टी
बड़वाह – विरेंद्रसिंह मेहतसिंह – कांग्रेस
महेश्वर – वल्लभ सीताराम – कांग्रेस
खरगोन – रमाकांत खोड़े – कांग्रेस
* 1962 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – हीरालाल यादव – जनसंघ
बड़वाह – राणा बलबहादुरसिंह – कांग्रेस
महेश्वर – भीकाजी टंटिया – जनसंघ
खरगोन – भालचंद्र बागदरे – जनसंघ
धूलकोट – मनोहरसिंह चौहान – जनसंघ
* 1967 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – अनोपसिंह भगवानसिंह – कांग्रेस
बड़वाह – अमोलकचंद मन्नालाल – कांग्रेस
बड़वाह – विमलचंद चंपालाल जैन – जनसंघ
महेश्वर – सीताराम साधौ – कांग्रेस
खरगोन – बलवंत सांगले – कांग्रेस
धूलकोट – गोरेलाल भावसिंह – काग्रेस
* 1972 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – राणा बलबहादुरसिंह – कांग्रेस
बड़वाह – अमोलकचंद छाजेड़ – कांग्रेस
महेश्वर – सीताराम साधौ – कांग्रेस
खरगोन – चंद्रकांता रमाकांत – कांग्रेस
धूलकोट – सोभागसिंह ध्यानसिंह – कांग्रेस
* 1977 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – डोंगरसिंह पटेल – जनता पार्टी
बड़वाह – रमेश शर्मा – जनता पार्टी
महेश्वर – नाथूभाई सावले – जनता पार्टी
कसरावद – बंकिम जोशी – जनता पार्टी
खरगोन – डॉ. नवनीत महाजन – जनता पार्टी
धूलकोट – मालसिंह लट्टू – जनता पार्टी
* 1980 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – डोंगरसिंह पटेल – भाजपा
बड़वाह – कैलाश पंडित – भाजपा
महेश्वर – सीताराम साधौ – कांग्रेस
कसरावद – रमेशचंद्र आनंदराव – कांग्रेस
खरगोन – चंद्रकांता रमाकांत – कांग्रेस
धूलकोट – चिड़ाभाई डावर – कांग्रेस
* 1985 विधानसभा चुनाव
विधानसभा – प्रत्याशी – पार्टी
भीकनगांव – जुवानसिंह पटेल – कांग्रेस
बड़वाह – राणा बलबहादुरसिंह – कांग्रेस
महेश्वर – डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ – कांग्रेस
कसरावद – रमेशचंद्र मंडलोई – कांग्रेस
खरगोन – करूणा दांगी – कांग्रेस
धूलकोट – चिड़ाभाई डावर – कांग्रेस
* 1990 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – डोंगरसिंह पटेल – भाजपा
बड़वाह – चंद्रकांत गुप्ता – भाजपा
महेश्वर – मदनलाल वर्मा – भाजपा
कसरावद – गजानन पाटीदार – भाजपा
खरगोन – रायसिंह राठौर – भाजपा
धूलकोट – मालसिंह लट्टू – भाजपा
* 1993 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – जवानसिंह पटेल – कांग्रेस
बड़वाह – ताराचंद पटेल – कांग्रेस
महेश्वर – डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ – कांग्रेस
कसरावद – सुभाष यादव – कांग्रेस
खरगोन – परसराम डंडीर – कांग्रेस
धूलकोट – चिड़ाभाई डावर – कांग्रेस
* 1998 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – लालसिंह डोंगरसिंह – भाजपा
बड़वाह – जगदीश मोरान्या – कांग्रेस
महेश्वर – डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ – कांग्रेस
कसरावद – सुभाष यादव – कांग्रेस
खरगोन – परसराम डंडीर – कांग्रेस
धूलकोट – चिड़ाभाई डावर – कांग्रेस
* 2003 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – धूलसिंह डावर – भाजपा
बड़वाह – हितेंद्रसिंह सोलंकी – भाजपा
महेश्वर – भूपेंद्र आर्य – भाजपा
कसरावद – सुभाष यादव – कांग्रेस
खरगोन – बाबूलाल महाजन – भाजपा
धूलकोट – दलसिंह सोलंकी – भाजपा
* 2008 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – धूलसिंह डावर – भाजपा
बड़वाह – हितेंद्रसिंह सोलंकी – भाजपा
महेश्वर – डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ – कांग्रेस
कसरावद – आत्माराम पटेल – भाजपा
खरगोन – बालकृष्ण पाटीदार – भाजपा
भगवानपुरा – जमनासिंह सोलंकी – भाजपा
* 2013 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव – झूमा सोलंकी – कांग्रेस
बड़वाह – हितेंद्रसिंह सोलंकी – भाजपा
महेश्वर – राजकुमार मेव – भाजपा
कसरावद – सचिन यादव – कांग्रेस
खरगोन – बालकृष्ण पाटीदार – भाजपा
भगवानपुरा – विजयसिंह सोलंकी – कांग्रेस
* 2018 विधानसभा चुनाव
भीकनगांव -झूमा सोलंकी -कांग्रेस
बड़वाह -सचिन बिरला -कांग्रेस
महेश्वर -डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -कांग्रेस
कसरावद -सचिन यादव -कांग्रेस
खरगोन -रवि जोशी -कांग्रेस
भगवानपुरा -केदार डावर -निर्दलीय
परिसीमन के साथ बढ़ती रही सीटें
जिले में समय-समय पर परिसीमन के साथ ही विधानसभा सीटों की संख्या भी बढ़ती रही। वर्ष 1957 में बड़वाह, महेश्वर व खरगोन विधानसभा सीट थी। 1962 में बड़वाह व खरगोन विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन कर भीकनगांव व धूलकोट विधानसभा बनी। 1977 में परिसीमन के बाद कसरावद विधानसभा बनाई गई। वर्ष 2008 में परिसीमन के समय धूलकोट विधानसभा का नाम भगवानपुरा कर दिया गया।
कोर्ट के आदेश पर 1968 में हुआ था उपचुनाव
बड़वाह विधानसभा चुनाव जीतकर 1967 में केबिनेट मंत्री बने अमोलकचंद मन्नालाल को सीट गंवानी पड़ी थी। बताया जाता है कि उस वक्त बड़वाह विधानसभा सीट से जनसंघ से चुनाव लड़े विमलचंद जैन ने गलत तरीके से चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए कोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट के फैसले के बाद यहां वर्ष 1968 में उपचुनाव हुआ। इसमें विमलचंद जैन को विधायक चुने गए थे।
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