इस आदिवासी इलाके में आर्थिक तंगी के कारण विद्यार्थी मोटी फीस देकर निजी कॉलेजों में प्रवेश लेने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में निजी कॉलेजों ने ऐसे छात्रों के प्रवेश अपने यहां कराने का जुगाड़ बिठाया। उनकी नजर गरीब छात्रों को पढ़ाई में मदद के लिए सरकार की ओर से हर साल देय उत्तर मैट्रिक और अन्य छात्रवृत्ति पर पड़ी। ये कॉलेज बिना फीस लिए पहले तो प्रवेश दे रहे हैं और सरकार से शुल्क पुनर्भरण व छात्रवृत्ति मिलने पर फीस वसूल रहे हैं।
इसमें कोई चूक न हो इसके लिए प्रवेश के समय ही विद्यार्थी की बैंक पास बुक और एटीएम कार्ड अपने पास रख लेते हैं ताकि शुल्क रिफण्ड व छात्रवृत्ति की राशि जैसे ही आए उन्हें मिल जाए। निजी कॉलेजों ने इस बार भी इस हथकंडे को अपना कर दाखिले दिए हैं, लेकिन विद्यार्थियों की उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति अटकी पड़ी और शुल्क रिफण्ड में विलम्ब हो रहा है। इसके चलते कॉलेज संचालक विद्यार्थियों से फीस की राशि के लिए तकाजा कर रहे हैं।
यह मिलती है राशि – उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति-अनुसूचित जाति/जनजाति रुपए दस माह तक
– गृह किराया- केवल एसटी 400 रुपए दस माह तक
– शुल्क रिफण्ड-एसटी एससी विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम श्ल्क अनुसार।
एकाउंट में जमा
विभाग की ओर से देय छात्रवृत्ति व शुल्क पुनर्भरण की राशि संबंधित विद्यार्थी के बैंक अकाउंट में जमा होती है। प्रवेश के लिए वे निजी कॉलेज से कोई समझौता कर रहे हैं तो उनकी आवश्यकता होगी।
प्रफुल चौबीसा, सहायक निदेशक समाजिक कल्याण वं अधिकारिता विभाग
बैठक में होगी चर्चा छात्रवृत्ति अटकी पड़ी है। कॉलेज संगठन ने भी इसके लिए प्रयास किए हैं। यदि विद्यार्थियों को प्रेवश दिया गया है तो वह शुल्क जमा करवा देंगे। सौदेबाजी की कोई बात नहीं। बैठक में सभी विषयों पर चर्चा होगी।
डॉ दिनेश भट्ट, निजी महाविद्यालय संगठन