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खरगोन

सरकारी मदद डेढ़ लाख, दोगुना हो गई मकान बनाने की लागत, मदद से दो कमरे भी नहीं हो रहे तैयार

-आशीयाने का सपना हुआ महंगा, पीएम आवास के तहत वर्ष 2020-21 के 6251 प्रकरण लंबित, वर्ष 2019-20 के 1103 प्रकरण भी फाइलों में

खरगोनFeb 21, 2022 / 10:01 am

Gopal Joshi

Government help is 1.5 lakh, the cost of building a house has doubled

खरगोन. निर्माण कार्यों में रेत की जगह एमसेंड का उपयोग किया जा रहा है।

खरगोन.
मकान बनाना अब और भी कठिन हो गया है। समय के साथ बिल्डिंग मटेरियल के दाम लगभग डबल हो गए हैं। ऐसे में कागजी जोड़तोड़ बिगड़ रहा है। लोहे के साथ सीमेंट, ईंट, रेत सहित अन्य रॉ मटेरियल के दाम तेजी से बढ़े हैं। ज्यादा समस्या पीएम आवास निर्माण में हो रही है। सरकार की गाइड लाइन के हिसाब से आवास निर्माण में सरकारी मदद डेढ लाख तक मिल रही है लेकिन यह राशि नींव डालकर प्लींथ तैयार करने में ही खर्च हो रही है। आलम यह है कि कई जगह निर्माण अधूरे पड़े हैं। हितग्राही बता रहे हैं कि इतनी मदद में दो कमरे तैयार करना भी मुश्किल है।
बिल्डर अमित जैन ने बताया पांच माह से एक साल के अंदर गिट्टी, रेत सरिया, सीमेंट सब के दाम बढ़े हैं। पहले बिल्डर मकान बनाने के लिए १००० स्क्वेयर फीट के रेट से काम करते थे अब रेट बढ़कर १४०० रुपए स्क्वेयर फीट हो गए हैं। जिले में काली रेत का ठेका निरस्त होने से इसकी भी किल्लत है। बाहरी जिलों जैसे होशंगाबाद, बैतुल नैमावर यहां तक की गुजरात से रेत मंगाई जा रही है। वाहन भाड़ा ज्यादा लग रहा है।
ऐसे बढ़े दाम
मटेरियल अभी पहले
गिट्टी 1500 रुपए ट्रॉली 2200 रुपए ट्राली
रेत 3200 रुपए ट्रॉली 5000 रुपए ट्रॉली
सरिया 40 से 45 रुपए अभी 62 से 65 रुपए
सीमेंट 250 रुपए बोरी अभी 350 रुपए
बिल्डर रेट 1000 स्क्वे. फीट 1400 रुपए स्क्वेयर फीट
(जानकारी बिल्डर्स के अनुसार)
काली रेत की जगह एमसेंड का विकल्प
बिल्डर्स के मुताबिक अधिकांश निर्माण में काली रेत की जगह अभी एमसेंड (पत्थर से बनी रेत) का उपयोग हो रहा है। इसका उपयोग प्लींथ व जुड़ाई में हो रहा है। छत डालने में इसके साथ रेत ही मिलानी पड़ रही है। इसके रेट भी 3200 से ३५०० रुपए ट्रॉली है। 10 से 15 किमी दूरी तक ले जाने में यह रेट बढ़कर 5000 रुपए हो रहे हैं।
असर : पीएम आवास में बनने वाले मकान लंबित
जानकारी के अनुसार जिले में पीएम आवास के मकान भी बन रहे हैं, लेकिन बिल्डिंग मटेरियल के रेट बढऩे से कई जगह काम आधूरे हैं। हितग्राही मुकेश यादव,दिनेश बिर्ला, मोहन धनगर आदि ने बताया कि सरकारी मदद डेढ़ लाख रुपए की मिल रही है। ऐसे में जो रेट अभी सामग्री के हैं इसमें दो कमरे बनाना भी मुश्किल हो रहा है।

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