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खरगोन

जयंती माता मंदिर में  नौ दिन माता की भक्ति में रमेंगे भक्त

प्राचीन जयंती माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि के 9 दिवस तक लाखों भक्तों को जनसैलाब उमडेंग़ा
 
 

खरगोनSep 29, 2019 / 06:52 pm

Jay Sharma

Ancient Jayanti Mata Temple in khargone

Ancient Jayanti Mata Temple in khargone

बड़वाह. नगर से तीन किमी दूर सुदूर घने वन में 600 से अधिक वर्ष प्राचीन जयंती माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि के 9 दिवस तक लाखों भक्तों को जनसैलाब उमडेंग़ा। इन नौ दिनों में माता के भक्त ब्रह्म म़ुहूर्त से ही दर्शनार्थ पैदल दर्शन को निकल जाते हैं। इन 9 दिवस में ऐसे भक्त जो अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए नंगे पैर निरंतर मंदिर दर्शनार्थ को प्रतिदिन जाते हं।
पहुंच मार्ग बना आसान
पंडित महेंद्र शर्मा ने बताया चार पीढिय़ों से जयंती माता की निरंतर 365 दिनों तक सेवा की जाती है। मंदिर पहुंच मार्ग में बहुत कठनाइयो का सामना करना पड़ता था। पूर्व में विभाग एवं नगर की सामाजिक सेवा संस्थाओं के सहयोग से तीन बार चोरल नदी जयंती माता परिसर पहुच मार्ग के लिए पुल निर्माण किया गया था किन्तु वर्षा ऋतू अधिक हो जाने के कारण तीनों बार पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये थे। कई बार नाव और तैरकर माता के मंदिर पहुंचकर पूजन-अर्चना करना पड़ता था, लेकिन वर्तमान में शासन द्वारा करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण करने से भक्तों को आवागमन करने में कोई परेशानियां नहीं होती है।
कालका माता, दत्तमंदिर का निर्माण
राणा राजेन्द्र सिंह ने बताया कि राणा सूरजमल ने नगर के पूर्वी छोर पर कालका माता मंदिर एवं नगर के मध्य में सती माता मंदिर के साथ ही स्वयं भू भगवान नागेश्वर के मंदिर परिसर में कुंडो एवं दत मंदिर का भी निर्माण करवाया था। राणा वंश के वर्तमान उत्तराधिकारी के रूप में राणा राजेन्द्र सिंह जयंती माता मंदिर एवं कालका माता मंदिर में वर्षों से आज तक सेवा दे रहे है।
विंध्याचल के वनों में विराजित जयंती माता
सन 1500 के लगभग तोमर वंश के राजा राणा हमीरसिंह ने विंध्याचल के वनों में जैतगढ़ किले का निर्माण कराया था। उन्होंने ही किले के समीप पहाड़ों में गुफ ा के अन्दर अपनी कुल देवी स्वरूप मां जयंती माता की स्थापना की थी। तत्कालीन समय में राणा हमीरसिंह का परिवार जैतगढ़ किले में ही निवास करता था। किले का नाम जैतगढ़ होने से देवी मां नाम जयंती माता रखा गया।
मेले का दृश्य बना रहता है
राणा राजेन्द्र सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए देवी के मंदिर क्षेत्र में अनेक सुविधाएं मुहिया कराई गई हैं। ताकि श्रदालुओं को भीड़ होने के बावजूद सरलता से दर्शन हो सके। मंदिर के पुजारी पंडित रामस्वरूप शर्मा महेंद्र शर्मा दीपक शर्मा ने बताया कि नवदुर्गा के दौरान मंदिर क्षेत्र में 10 दिवस मेला लगता है। यहां पूजन और अन्य सामग्री की दुकानें लगती हैँ।
प्रशासनिक व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस महकमा, वन विभाग और राजस्व अमले के बड़ी मात्रा में कर्मचारी इस नौ दिवसीय महोत्सव की व्यवस्था को सभालने में जुटे रहते है। जयंती माता के भक्तों का एक बड़ा समूह भी दर्शानाथियों की बड़ी संख्या को नियंत्रित करने हेतु समर्पण के साथ तैनात रहता है। इन दिनों में पूर्व एवं पश्चिम निमाड़ सहित मालवा से आने वाले देवी भक्तों की संख्या का आंकड़ा एक लाख से अधिक पहुंच जाता है।
बबलीखेड़ा को परिवर्तित कर बड़वाह बसाया
राणा राजेन्द्रसिंह ने बताया कि सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी देवी मां की मूर्ति अपने स्थान पर ही विराजित है। जबकि किला खंडर में तब्दील हो चुका है। कुछ समय बाद हमीर सिंह के वंशज राणा सूरजमल जैतगढ़ छोड़ बबलीखेड़ा गांव आए। उन्होंने बबलीखेड़ा का नाम परिवर्तित कर उसे बडवाह के रूप में बसाया।

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