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पत्रिका रक्षा कवच अभियान… मोबाइल हमारे लिए उपयोगी तो है ही, लेकिन खतरनाक भी -पुलिस अधीक्षक मनोज राय

-पढ़े लिखे लोगों से कही ज्यादा तकनीकी ज्ञान होता है साइबर अपराधियों के पास
-इस तोहफे का सावधानी से उपयोग करें, अन्यथा सावधानी हटी और दुर्घटना घटी
-पत्रिका अभियान के तहत एसपी, एएसपी ने किया डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ को जागरूक

खंडवाDec 22, 2024 / 11:59 am

मनीष अरोड़ा

Cyber ​​Crime

खंडवा. साइबर अपराध से बचाव की जानकारी देते पुलिस अधीक्षक।

डिजिटल युग में मोबाइल हर किसी की जरूरत बन चुका है। ये मोबाइल हमारे लिए तोहफा तो है ही, लेकिन खतरनाक भी। आज के दौर में अधिकतर क्राइम अब मोबाइल से ही हो रहे है, जिसे साइबर क्राइम कहा जाता है। इस तोहफे का यदि ठीक से उपयोग किया तो कभी साइबर क्राइम का शिकार नहीं होंगे, अन्यथा सावधानी हटी और दुर्घटना घटी जैसी स्थिति बन सकती है। यह बात शनिवार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ए-ब्लॉक की तीसरी मंजिल स्थित मीटिंग हॉल में पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय द्वारा पत्रिका रक्षा कवच अभियान के तहत कही।
पत्रिका द्वारा पुलिस विभाग के सहयोग से विभिन्न वर्गों को साइबर क्राइम से जागरूक करने के लिए पत्रिका रक्षा कवच अभियान चलाया जा रहा है। शनिवार को मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स, इंटर्न, नर्सिंग स्टाफ और बैक ऑफिस स्टाफ के लिए जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेंद्र तारणेकर रहे। एसपी व एएसपी का स्वागत सिविल सर्जन डॉ. अनिरूद्ध कौशल, अस्पताल अधीक्षक प्रो. डॉ. रंजीत बड़ोले, आरएमओ डॉ. एमएल कलमे, सहायक संचालक डॉ. सुनील बाजोलिया ने किया। कार्यक्रम में डॉ. पंकज जैन, डॉ. कृष्णा वास्कले, डॉ. सीमा सुते सहित इंटर्न, नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहा। संचालन डॉ. मरीयम ने किया।
पीएम तक कह चुके डिजिटल अरैस्ट जैसी कोई चीज नहीं
पुलिस अधीक्षक राय ने कहा कि मोबाइल के माध्यम से कई तरह के क्राइम हो रहे है। साइबर अपराधी समय-समय पर क्राइम का तरीका भी बदलते रहते है। अब नया फ्रॉड डिजिटल अरैस्ट के रूप में हो रहा है। पीएम मोदी भी मन की बात में कह चुके हैं कि कानून में डिजिटल अरैस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक नर्स भी इसका शिकार हो चुकी है, जो करीब 8 घंटे साइबर अपराधियों के जाल में फंसी रही। यहां बैठे सभी लोग एजेकेटेड है, लेकिन पढ़े लिखे लोग भी साइबर अपराधियों के जाल में फंस जाते है। हमारे, आपके प्रोफेशन में अनजान कॉल को भी अटैंड करना मजबूरी है, लेकिन किसी से बात करने से पहले सावधानी बरतें और जब लगता है कि सामने वाला कुछ गलत है, तुरंत फोन काटकर नंबर ब्लॉक कर दे।
डिजिटल लिट्रेसी में हमसे आगे साइबर अपराधी
एएसपी महेंद्र तारणेकर ने कहा कि हम बहुत पढ़े लिखे हैं और अपने आप को स्मार्ट भी समझते है, लेकिन हमारा तकनीकी ज्ञान साइबर अपराधियों से कम ही है। आज के दौर में डिजिटल लिट्रेसी भी पढऩा चाहिए और इसी तकनीकी ज्ञान के बल पर हम साइबर अपराध से बच सकते है। यदि हम सावधान नहीं है तो साइबर क्राइम का शिकार होने में कोई देर नहीं लगती। साइबर अपराध में फंसने के तीन कारण होते हैं, भय, अज्ञानता और लालच। इसमें सबसे ज्यादा लोग लालच का शिकार होते है। इसलिए मोबाइल पर किसी भी प्रकार के ललचाने वाले ऑफर को स्वीकर न करें, कोई अनजान लिंक ओपन न करें। साइबर अपराध से बचाव के लिए सावधानी ही सबसे बढ़ी सुरक्षा है।
पुलिस अधीक्षक ने की पत्रिका की सराहना
कार्यक्रम के दौरान पुलिस अधीक्षक ने पत्रिका रक्षा कवच अभियान की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग तो अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए लोगों के बीच जाकर साइबर अपराधों से बचाव की जानकारी दे ही रहा है। पत्रिका समाचार पत्र भी विभिन्न वर्ग, संस्थाओं, संगठनों, महिला ग्रुप, बुजुर्गों, व्यापारियों, विद्यार्थियों के बीच पुलिस विभाग के सहयोग से जागरुकता फैला रहा है। यहां मौजूद सभी लोग साइबर क्राइम से जागरूक जरूर हुए होंगे और अब अपने आसपास, मिलने वालों को भी जागरूक कर इस अभियान को आगे बढ़ाए।

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