मैनिट के वास्तुकला और योजना विभाग के स्टूडेंट ने ओंकारेश्वर जाकर तीर्थ यात्रियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर इस तीर्थ नगरी के बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं का आकलन किया। इस अध्ययन में मौजूदा बुनियादी ढांचे को तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या के दबाव को संभालने में असमर्थ बताया गया है।
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मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए हर साल 6.5 मिलियन टूरिस्ट आते हैं। भविष्य में यह संख्या और बढ़ऩे की संभावना है। हालांकि इतने टूरिस्टों के लिए ओंकारेश्वर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। मैनिट के अध्ययन में यहां सड़कों की कमी, सीमित आवास सुविधाएं, पर्यावरण संरक्षण की अवहेलना और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता जताई गई है।
ओंकारेश्वर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए योजनागत रणनीतियों का विकास करने के लिए मैनिट स्टूडेंट ने यह दौरा किया। स्टूडेंट ने ओंकारेश्वर की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर को संरक्षित करते हुए तीर्थ पर्यटन के भविष्य के विकास को संतुलित करने कई अहम सुझाव दिए हैं।
मैनिट के प्रो. सुरभि मेहरोत्रा और प्रीति ओंकार के मार्गदर्शन में किए गए इस अध्ययन में ओंकारेश्वर में बुनियादी ढांचा विकसित करने की जरूरत जताई गई है। वास्तुकला और योजना विभाग के पीएचडी शोधार्थी और योजना के 26 स्टूडेंट की यह रिपोर्ट तीर्थ नगरी के विकास के लिए अहम साबित हो सकती है।