नर्मदा और कावेरी मिलकर बनाती हैं शिवलिंग की आकृति
नर्मदा यात्रा के दौरान सबसे मुख्य स्थान माना जाता है कावेरी और नर्मदा का संगम। यहां दो नदियां आपस में आकर मिलती है। ओंकारेश्वर में आध्यात्मिक रूप से प्रसिद्ध है लेकिन यहां मुख्य बात यह है कि यहां प्रकृति दो रूपों में पर्वत को आकार दे रही है।
Narmada and Kaveri make up the shape of the lingam
खंडवा. नर्मदा यात्रा के दौरान सबसे मुख्य स्थान माना जाता है कावेरी और नर्मदा का संगम। यहां दो नदियां आपस में आकर मिलती है। ओंकारेश्वर में आध्यात्मिक रूप से प्रसिद्ध है लेकिन यहां मुख्य बात यह है कि यहां प्रकृति दो रूपों में पर्वत को आकार दे रही है। संगम के पहले जब ये नदी बांध से दो भागों में बंटती है तो ओंकार मंदिर के पास परिक्रमा मार्ग से देखने पर यह पर्वत ही पूरे शिवलिंग की तरह दिखाई देता है। ऐसा लगता है जैसे नर्मदा अपनी हथेली में शिव को लिए हुए हैं। वहीं इस पर्वत की दूसरी प्रमुख बात है कि इसे ओंकार द्वीप कहा जाता है, इसकी परिक्रमा लोग ऊं के आकार में करते हैं, यह दृश्य आसमान से या गुगल मेप पर प्रत्यक्ष रूप से भी देख सकते हैं।
नर्मदा किनारे बना है ओंकार मंदिर
ओंकारेश्वर गायत्री शक्ति पीठ के आचार्य संतोष महाराज ने बताया कि ओंकारेश्वर 68 तीर्थ हंै यहां 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं व 2 ज्योति स्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं। नर्मदा क्षेत्र में ओंकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है। मान्यतानुसार तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले लेकिन जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल यहां नहीं चढ़ाता तब तक उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।
ये है नर्मदा कावेरी संगम
नर्मदा विद् व रिटायर्ड एसएनए कॉलेज के प्रचार्य श्री राम परिहार ने बताया कि यह नदी कुबेर मंदिर से बहकर नर्मदाजी में मिलती है। जिसे परिक्रमा में जाने वाले भक्तों ने प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में देखा है। यही कावेरी ओंकार पर्वत का चक्कर लगाते हुए संगम पर वापस नर्मदाजी से मिलती है। इसे ही नर्मदा कावेरी संगम कहते हैं।
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