खंडवा विधानसभा से अंतिम बार वर्ष 1985 में कांग्रेस की नंदा मंडलोई ने जीत दर्ज कराई थी। 1990 में कांग्रेस ने नंदा मंडलोई को दोबारा मौका दिया, लेकिन पहलवानी के अखाड़े से राजनीति के अखाड़े में आए भाजपा के पहलवान हुकुमचंद यादव के दांवपेंच कांग्रेस को भारी पड़े। इस चुनाव से भाजपा की जीत की नींव खंडवा विधानसभा में पड़ी। हालांकि 1967 में भारतीय जनसंघ के कृष्णराव गद्रे ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के गोविंद प्रसाद गीते ने यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन उस समय इंदिरा गांधी विरोधी लहर थी। इसके बाद दो चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की और इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा।
आठ प्रत्याशियों को दिया 33 साल में मौका
वर्ष 1990 की हार के बाद कांग्रेस ने खंडवा विस को प्रयोगशाला बना लिया। यहां हर चुनाव में नया चेहरा जनता के सामने रखा गया, लेकिन कोई भी जीत दर्ज कराने में सफल नहीं रहा। कांग्रेस ने सात मुख्य और एक उपचुनाव में कुल 8 बार अलग-अलग प्रत्याशियों को मौका दिया, लेकिन कोई भी भाजपा के वर्चस्व को नहीं तोड़ पाया। कांग्रेस ने ब्राह्मण, ठाकुर और मुस्लिम कार्ड तक खेला फिर भी जीत के स्वाद से दूर रही।
पहलवान सबसे ज्यादा चार बार जीते
खंडवा विस का इतिहास देखा जाए तो यहां 1952 से लेकर 2018 तक हुए कुल 15 चुनाव और एक उपचुनाव में 6 बार कांग्रेस का कब्जा रहा। यह आजादी के बाद लोकतंत्र का शुरुआती दौर था। एक बार भारतीय जनसंघ और एक बार जनता पार्टी यहां से जीतीं। 1990 के बाद हुए आठ चुनाव में सबसे ज्यादा चार बार जीत का रिकॉर्ड हुकुमचंद यादव पहलवान के नाम है। इसके बाद तीन बार देवेंद्र वर्मा ने जीत दर्ज कराई है। 2008 में परिसीमन के चलते सीट आरक्षित नहीं होती तो संभवत: पहलवान पांचवीं बार मैदान में होते।
वर्ष कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा उम्मीदवार
– 1985 नंदा मंडलोई हुकुमचंद यादव
– 1990 नंदा मंडलोई हुकुचंद यादव
– 1993 वीरेंद्र मिश्रा पूरणमल शर्मा
– 1997 डॉ. मुनीश मिश्रा हुकुमचंद यादव (उपचुनाव)
– 1998 अवधेश सिसोदिया हुकुमचंद यादव
– 2003 रियाज हुसैन हुकुमचंद यादव
– 2008 दिनेश सोनकर देवेंद्र वर्मा
– 2013 मोहन ढाकसे देवेंद्र वर्मा
– 2018 कुंदन मालवीय देवेंद्र वर्मा
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