पूरी विश्व में रहस्य बनी हुई हैं नृत्य करती हुई ये मूर्तियां
जानकारी के लिए बता दें कि खजुराहो में पहले 85 मंदिर थे लेकिन अब 22 ही बचे हैं। इन मंदिरों का निर्माण 950 ई.से 1050 ई.के बीच किया गया था। मंदिरों में बनी कामुक मूर्तियों को केवल बाहरी दीवारों पर ही बनाया गया है। अपनी कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियों के कारण ये विश्व प्रसिद्ध है। हर साल यहां पर लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं। मंदिरों में बनाई गई कामुक मूर्तियों का निर्माण इतनी बेतरी से किया गया है जिनको देखने के बाद भी किसी के मन में बुरे ख्यालात नहीं आते हैं। मूर्तियों में इतनी खूबसूरती है कि ये लोगों को ध्यान खींच लेती हैं। यहां पर घूमने आने वाले सैलानियों के मन में कई बार ये ख्याल आता है कि इन मूर्तियों को क्यों बनाया गया है। इस बात का उत्तर अलग-अलग विश्लेषकों के अनुसार अलग-अलग है। सबने इस बारे में अपनी अलग-अलग राय दी है। मुख्य रूप से चार मान्यताएं हैं, जो सही मानी जाती हैं।
पहली मान्यता
वहीं दूसरी ओर कुछ विश्लेषक ये भी मानते हैं कि प्राचीन काल में लोगों के सेक्स की शिक्षा देने की दृष्टि से भी इनका निर्माण किया गया है। ऐसा भी मानना है कि इन कामुक आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग करने की सही शिक्षा मिलेगी। ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को ही उपयुक्त स्थान माना जाता था।
दूसरी मान्यता
मंदिरो में कामुक मूर्तियों के बनाये जाने के पीछे कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। यही कारण है कि खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं। ये मूर्तियां बहुत ही सुंदरता के साथ बनाई गई हैं।
तीसरी मान्यता
वहीं कुछ और विश्लेषकों का मानना है कि मरने के बाद मोक्ष पाने के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है- धर्म, अर्थ, योग और काम। इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।
चौथी मान्यता
मंदिरों में बनी इन कामुक मूर्तियों के पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है। इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए भी इन मूर्तियों को लोग बहुत मानते हैं।