Naxal News: नक्सलियों के गढ़ में जवानों ने किया कब्जा, MP-CG बॉर्डर में खोले गए 7 नए सुरक्षा कैंप
Kawardha Naxal News: प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिला में शामिल अब कबीरधाम नक्सल मुक्त की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि, पुलिस ने बीते 6 माह के भीतर एमपी-सीजी बॉर्डर से लगे थाना क्षेत्र में 7 सुरक्षा कैंप खोल दिया है।
Naxal News: कबीरधाम जिले में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने और जिले को नक्सलमुक्त करने के लिए छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश सीमा के वनांचल में एक और सुरक्षा कैम्प खोला गया। छ: माह में सात नवीन सुरक्षा कैम्प खोले जा चुके हैं। स्थापित नवीन कैम्पों के सहयोग से अंदरूनी क्षेत्रों के विकास कार्यों में भी तेजी आएगी।
छत्तीसगढ़ राज्य में नई सत्ता-सरकार बनने के बाद से नक्सल उन्मूलन के क्षेत्र में काफी गति आई है। जिला कबीरधाम में नक्सल गतिविधियों के रोकथाम के लिए नक्सल अभियानों में गति लाने, जिले के सीमावर्ती अंदरूनी क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी लाने छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश सीमा से लगे ग्राम धवईपानी थाना चिल्फी में नवीन सुरक्षा कैम्प स्थापित किया गया।
जिले के अंदरूनी सीमावर्ती ग्रामों में पिछले दिनों 6 सुरक्षा कैम्प ग्राम कुमान, खिलाही, बेंदा, माराडबरा, धनवाही और कबीरपथरा में स्थापित किया गया है। इस तरह 7 नवीन कैंम्प और 2 पूर्व में स्थापित कैम्पों के साथ छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश सीमावर्ती क्षेत्र में कुल 9 सुरक्षा कैम्प स्थापित है। सुरक्षा बलों द्वारा क्षेत्र में लगातार नक्सल अभियानों के साथ-साथ क्षेत्र के जनता में शासन की विकासकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर जानकारी लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
कबीरधाम जिले नक्सलियों के महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) अंतर्गत आता है। इसके जोन कमाण्डर प्रभारी सुरेन्दर उर्फ कबीर है। कान्हा-भोरमदेव डिविजन के प्रभारी, सचिव सुरेन्दर उर्फ कबीर है और कमाण्डर इन चीफ डिव्हिसी राकेश होड़ी है। इसके अंतर्गत तीन एरिया कमेटी सक्रिय है। भोरमदेव एरिया कमेटी, बोड़ला एरिया कमेटी और खटियामोचा एरिया कमेटी। जिले में भोरमदेव एरिया कमेटी और बोड़ला एरिया कमेटी के नक्सली सक्रिय हैं।
नक्सल गतिविधियों में कमी आई
जिले के अंदरूनी दुरस्थ क्षेत्र में स्थापित नवीन कैम्पों व सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही लगातार प्रभावी कार्यवाहियों से जिले में नक्सल गतिविधियों में काफी कमी आयी है। कैम्प के चलते ही नक्सली आम लोगों से अधिक संपर्क नहीं कर पाते। इसका नतीजा यह हो रहा है उनकी घूसपैठ जिले में कम होती जा रही है क्योंकि ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
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