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Suspend in bribe demand: राइस मिल संचालक से मांगी गई थी 15 लाख की रिश्वत, नहीं देने पर किया सील, CGSCSC के जिला प्रबंधक निलंबित मुख्य रुप से इसकी जानकारी प्राचार्य को थी, बावजूद उन्होंने अकाउंटेंट पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। मामले को लेकर पहले जनभागीदारी अध्यक्ष ने उच्च कार्यालय को पत्र लिखा। दूसरे दिन एबीवीपी ने
प्रदर्शन किया। इसके बाद एनएसयूआई ने ज्ञापन सौंपकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की। मामला तूल पकड़ने लगा तो उच्च शिक्षा संचालनालय की ओर से प्रभारी प्राचार्य डॉ.बीएस चौहान को निलंबित कर दिया गया।
इसके दो दिन पूर्व ही उच्च आयोग की टीम प्रारंभिक जांच के लिए कवर्धा पहुंची थी। प्रभारी प्राचार्य डॉ.चौहान से मिले और उन्हें अपनी बात रखने के लिए तीन दिन का समय भी दिया। इस बीच मंगवार की शाम को उच्च शिक्षा संचालनालय की ओर से निलंबन का आदेश जारी का दिया।
कॉलेज के जनभागीदारी समिति के खाते में जनभागीदारी शुल्क का कुल 82 लाख रुपए जमा कराया जाना था, लेकिन इसमें 54 लाख रुपए ही जमा कराया गया, जबकि 28 लाख रुपए से अधिक राशि जमा ही नहीं कराया गया। आज की स्थिति में जनभागीदारी समिति के खाते में केवल 90 हजार रुपए जमा है। 28 लाख रुपए का कोई हिसाब ही नहीं है कि यह रुपए कहां गए।
चूंकि वित्तीय कार्य प्राचार्य के हस्ताक्षर के बिना नहीं हो सकते हैं इसलिए इसमें प्राचार्य को ही जिम्मेदार ठहराया गया। संभावना तो यह भी जताया जा रहा है इस पूरे घोटाले की जानकारी पूर्व जनभागीदारी समिति के पदाधिकारियों को थी। बावजूद उन्होंने इस मामले में किसी प्रकार से कार्रवाई नहीं की।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब अतिथि प्राध्यापकों को वेतन नहीं मिला। जनभागीदारी अध्यक्ष रिंकेश वैष्णव को प्राप्त होते ही सबसे पहले प्राचार्य को मौखिक रुप से जानकारी लेने की कोशिश की लेकिन उन्हें किसी तरह से जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद लगा कि कुछ गड़बड़ है तो गहराई से मदों की जानकारी मांगने पर बैंक स्टेटमेंट देखा गया। पता चला विगत कई सालों से जनभागीदारी समिति के खातों में कुछ ही राशि जमा हो रहा है।
यहां से हुआ खुलासा
जन भागीदारी प्राध्यापक और जन भागीदारी कर्मचारियों को वेतन उनके खातों में ट्रांसफर होने की जगह फ ोन पे और नगद के माध्यम से किया जा रहा था। इसके चलते ही प्राचार्य को पत्र लिखकर जनभागीदारी अध्यक्ष ने जांच करने की मांग की, लेकिन प्राचार्य ने ऐसा नहीं किया। इधर सहायक ग्रेड 2 लेखा प्रभारी (अकाउंटेंट) फरार हो गया। वहीं जनभागीदारी अध्यक्ष की ओर से मामले में एफआईआर के लिए भी आवेदन किया गया है। हर साल 8 से 9 हजार रुपए विद्यार्थी दे रहे शुल्क जो राशि गबन हो चुकी है वह विद्यार्थियों की राशि है जो प्रवेश शुल्क रुप में जमा किया जाता है। पीजी कॉलेज में हर साल 6 से 7 हजार नियमित और 2 हजार से अधिक अनियमित विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी से 300-300 रुपए जनभागीदारी शुल्क लिया जाता है। इस तरह से हर साल जनभागीदारी शुल्क के रुप से कॉलेज को करीब 25 लाख रुपए की आमदनी होती है।
जनभागीदारी शुल्क से होता है वेतन भुगतान
कॉलेज में सहायक प्राध्यापकों की कमी है। इस कमी की पूर्ति अतिथि व्याख्याताओं से की जाती है। जुलाई से फरवरी तक पढ़ाई की पूर्ति अतिथि व्याख्याताओं से कराई जाती है। जनभागीदारी शुल्क से प्राप्त राशि का उपयोग जनभागीदारी समिति द्वारा अतिथि व्याख्याताओं के साथ लाइब्रेरी अटेण्डर, चौकीदार, स्वीपर को वेतन देने में किया जाता है। इसके अलावा कार्य भी कराए जाते हैं।
मामले में एबीवीपी ने किया था प्रदर्शन, एनएसयूआई ने की थी जांच की मांग
पीजी कॉलेज कवर्धा में हुए बड़े भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग लेकर एबीवीपी ने कॉलेज परिसर में ही प्रदर्शन किया गया था। जबकि एनएसयूआई ने मामले में ज्ञापन सौंपकर उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की थी। इनके द्वारा प्रभारी प्राचार्य डॉ.चौहान पर आरोप लगाए गए कि अकाउंटेंट को कॉलेज के खाते को लेकर चेक में हस्ताक्षर के अधिकारी नहीं थे। बावजूद लाखों रुपए जनभागीदारी खाता की जगह अपने खातों में डालता था। यह संरक्षण बिना प्राचार्य के सहयोग नहीं हो सकता। एबीवीपी और एनएसयूआई द्वारा चेतावनी थी दी कि यदि मामले में जल्द से जल्द जांच व कार्रवाई नहीं होती तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।