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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आज: अवसाद ले रहा हर दिन लोगों की ‘जान’

World Suicide Prevention Day story

कटनीSep 10, 2024 / 09:23 pm

balmeek pandey

परिवार की सतर्कता बचा सकती है जिदंगी, 27 प्रकार के अवसाद से घिरने पर लोग उठाते हैं आत्मघाती कदम, वर्तमान में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल, मनोचिकित्सों के पास है उपचार

कटनी. समाज में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति के पीछे बड़ा कारण अवसाद है। वर्तमान में हर आयु वर्ग के लोग अवसाद से पीडि़त हैं। इसकी अंतिम परिणिति आत्महत्या होती है। अभी लोग 27 प्रकार के अवसादों से ग्रस्त हो रहे हैं। इसके लक्षण व्यक्ति में पहले से दिखने लगते हैं। ये लक्षण दो हफ्तों से अधिक समय से हैं तो व्यक्ति की जान जाने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में समय रहते परिजन इन लक्षणों को पहचान लें तो व्यक्ति को आत्महत्या से रोका जा सकता है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. संदीप निगम का कहना है कि आत्महत्या के 99 फीसदी प्रकरणों में व्यक्ति का अवसादग्रस्त होना ही कारण के रूप में सामने आता है। व्यक्ति को आत्महत्या से रोका जा सकता है, बस जरुरत है आत्महत्या के लक्षणों को जानने और समय पर उपचार कराने की। बता दें कि सबसे ज्यादा लोग जान जहर पीकर, फांसी लगाकर, पानी में डूबकर, ट्रेन से कटकर दे रहे हैं।
इन कारणों से दांव पर लगा रहे जिंदगी

  • जैविक आनुवांशिक कारण आत्महत्या के लिए प्रेरित करते है, इसमें व्यक्ति के हार्मोंस जैसे मेलाटोनिन, कोर्टिसोल, एस्ट्रोजन या दैहिक गड़बड़ी से लोग अवसाद में आते हैं और खुदकुशी का कदम उठाते हैं।
  • मनो-सामजिक कारण में कुपोषण, नशा, किसी प्रकार की बड़ी हानि, माता-पिता का स्नेह नहीं मिलना, ईष्या, कमजोर आर्थिक स्थिति, लंबी बीमारी, लंबे समय तक बेरोजगारी जैसी स्थिति।
  • मनोवैज्ञानिक कारण में नकारात्मक चिंतन, मानसिक संघर्ष, त्रुटिपूर्ण चिंतन, निराशवाद, कुंठा, आत्मनिंदा जैसे भाव आना।
आत्महत्या से पहले दिखते हैं ये लक्षण
डॉ. संदीप निगम ने कहा कि व्यक्ति में अचानक से निराशा, दुखी व उदासी के साथ उत्साहहीन होना, व्यक्ति में दैनिक कार्य में अरुचि होना, जवाबदारियों से पलायन व इच्छाओं में कमी के साथ जीवन के प्रति नकारात्मकता का भाव पारिवारिक संबंधों से दूरी, भोजन व नींद के पैटर्न में बदलाव, रचनात्मक, मनोरंजन व सृजनशीलता में कमी तथा नशे का आदी होना है। इसी प्रकार स्वयं के बारे में चिंतन, आत्मविश्वास की कमी, आशारहित होना और हर छोटी-छोटी गलती के लिए स्वयं को दोषी मानना, इसी तरह व्यक्ति में अकारण सिर दर्द, बदन दर्द या किसी विशेष अंग में दर्द की अनुभूति होना, शारीरिक व मानसिक उर्जा में कमी होना भी कारण हो सकता है।
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आठ महीने में 150 से अधिक ने की आत्महत्या
समाज में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि इस वर्ष 2024 के आठ महीने में 150 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है। इनमें महिलाएं और पुरुष शामिल हैं। कच्ची उम्र के बच्चे भी शामिल हैं। आत्महत्या की वजह पारिवारिक विवाद व आर्थिक नुकसान, बेरोजगारी, कर्ज, प्रेम होना सामने आया है। हाल ही में शहर में महिला की हत्या कर आत्महत्या के मामला भी रंगनाथ नगर के मंगलनगर में सामने आया है।
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आत्महत्या निवारण के लिए आवश्यक कदम
डॉक्टर ने कहा कि आत्महत्या को रोकने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए। जागरुकता बढ़ाने, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने, उन लोगों को समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता है जो आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे हैं। जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और उनसे निकलने के लिए हमें प्रयास करने चाहिए। हमें उन्हें सुनने, समझने, और उनकी भावनाओं का सम्मान करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे यह महसूस करें कि वे अकेले नहीं हैं और उनके पास समर्थन के लिए लोग मौजूद हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें
मानसिक स्वास्थ्य का महत्व इस समय पहले से कहीं अधिक है। हमें अवसाद, तनाव, और अकेलापन जैसी भावनाओं को पहचानने और उनके समाधान के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें चिकित्सा, परामर्श, और समाज के सहयोग की आवश्यकता होती है। आत्महत्या निवारण एक जीवन रक्षक पहल है जो हमें जीवन को बचाने और समाज को स्वस्थ बनाने की दिशा में प्रेरित करती है। अपने समाज को एक सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण प्रदान कर सकते हैं। जीवन अनमोल है, और इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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