प्रभारी आयुक्त व जिला पंचायत सीइओ (आइएएस) शिशिर गेमावत के पास 749 आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन भुगतान की फाइल पहुंची। अत्यधिक संख्या होने के कारण सीइओ ने इपीएफ यूएएन खाता खोले जाने के लिए सत्यापन कराने आदेश दिए। आदेश में 21 एवं 22 अगस्त को सत्यापन के लिए साधुराम स्कूल व नगर निगम कार्यालय में सत्यापन कराया गया।
यह रही सत्यापन की स्थिति
सत्यापन के दौरान स्वास्थ्य विभाग में 569 आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं। सत्यापन कराने के लिए सिर्फ 292 पहुंचे हैं। अभी तक 277 कर्मचारियों का सत्यापन नहीं हो पाया। कुछ कर्मचारियों ने एनयूएलएम कार्यालय में पहुंचकर सत्यापन कराया है। सूत्रों की मानें तो अभी भी 225 कर्मचारियों का सत्यापन नहीं हो पाया है।
जानकारी के अनुसार नगर निगम की 15 शाखाओं में कार्यरत आउटसोर्ट 116 कर्मचारियों का सत्यापन कराया गया है, जो पूरे पाए गए हैं। इसमें स्वच्छ भारत मिशन, खाद्य विभाग, वेंकट लाइब्रेरी, लोक सूचना कार्यालय, उपायुक्त, पेंशन, जनसंपर्क, अतिक्रमण, राजस्व, बाजार, विधि, समग्री, एनयूएलएम, जलकर, सुरम्य पार्क शामिल है। इनका सत्यापन तो हुआ है, लेकिन यहां पर सभी नियमित आ रहे हैं, कि नहीं इनकी निगरानी भी सवालों में है।
सत्यापन दल क्रमांक एक द्वारा अबतक पूरा कर्मचारियों का सत्यापन नहीं किया गया है। 27 अगस्त तक की स्थिति में अभी भी सवा दो सौ कर्मचारी बकाया है। पहले अधिकारी-कर्मचारियों ने कहा कि रक्षाबंधन के कारण महिला कर्मचारी मायके गई है तो कुछ कर्मचारी अवकाश पर, लेकिन सात दिन बाद भी वे नहीं पहुंचे। दल क्रमांक 3 को 100 कर्मचारियों का सत्यापन किया है। इसमें प्रधानमंत्री आवास, विद्युत, अग्निशमन, साधूराम, केसीएस व ए रविंद्र राव स्कूल, परिवहन, ऑडिटोरियम, लोक निर्माण विभाग, आश्रय, निर्वाचन, संबल, आवासीय संपरीक्षा शामिल है।
छानबीन कमेटी ने नहीं की जांच
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग एक साल पहले नगर निगम द्वारा लगभग 700 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों को हो रहे भुगतान को लेकर जांच कराने छानबीन कमेटी बनाई गई थी। नगर निगम के जिम्मेदारों ने इसकी जांच नहीं होने दी। एक साल पहले ही यदि जांच हो जाती है, तो हकीकत का पता चल जाता।
जानकारी के अनुसार दो साल पहले तक जब नगर सरकार अस्तित्व में नहीं थी, तब नगर निगम में साढ़े चार सौ आउटसोर्स कर्मचारी थी। दो साल में इस कदर डिमांड बढ़ी की संख्या दोगुनी हो गई। अब सवाल यह उठता है कि आखिर अचानक ऐसा क्या काम कराया जाने लगा, जिससे इतने आउटसोर्स कर्मचारी रखने पड़ गए।
सफेदपोशों के चहेतों के नाम
बता दें कि आउटसोर्स कर्मचारी की इस लंबी लिस्ट में ऐसे भी कई नाम हो सकते हैं जो कहने को तो नगर निगम के कर्मचारी हैं, लेकिन वे सफेदपोशों के चहेते हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ कर्मचारियों के नाम ऐसे भी दर्ज हैं जो नगर निगम से भुगतान तो ले रहे हैं, लेकिन सेवाएं उनकी अन्य अशासकीय कार्यालयों व अन्य स्थानों पर ली जा रही हैं।
सत्यापन कराने के लिए दो दिन का समय नियत किया गया था। इसके बाद भी कुछ सत्यापन हुए हैं। रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। मैं अवकाश से लौटते ही इसकी वास्तविकता को देखूंगा। रिपोर्ट अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शिशिर गेमावत, प्रभारी आयुक्त।