कागजों में बनी योजना, हकीकत में हादसे का अड्डा
यह सडक़ मेयर प्रीति सूरी की प्राथमिकताओं में नंबर एक पर थी, लेकिन चुनाव जीतने के बाद इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। चुनाव के दौरान वादे, कुर्सी संभालते ही दावा थोथा साबित हो रहा है। दो साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद यहां न तो काम पूरा हुआ, ना ही लोगों की तकलीफें कम हुईं। अधिकारियों ने सिर्फ बेस बनवाकर काम अधूरा छोड़ दिया है। 12 मीटर चौड़ी सडक़ का वादा कागजों तक सीमित रह गया है और जनता असुविधा झेलने को मजबूर है।
सडक़ के दोनों ओर अतिक्रमण का हाल यह है कि पैदल चलना भी दूभर हो गया है। वहीं जिनकी जमीन सडक़ निर्माण में आ रही है, उन्हें अभी तक 135 लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। जनप्रतिनिधियों के वादों के बावजूद, इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अधिकारियों की धीमी कार्यप्रणाली और मुआवजा देने में हील-हुज्जत ने निर्माण कार्य को ठप कर दिया है। अबतक न तो निर्धारण हुआ और ना ही निर्णय।
राजनीतिक खेल के शिकार बन रहे हैं आम लोग
इस सडक़ का निर्माण वोट बैंक की राजनीति, दो नेताओं में आपसी मत और मनभेद की राजनीति के चलते जनता की असुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है। जनप्रतिनिधि और अधिकारी जनता के हितों को प्राथमिकता देने के बजाय राजनीति कर रहे हैं, जिससे काम में देरी हो रही है और समस्या जस की तस बनी हुई है।
अगर यह सडक़ बनती है, तो शहर की 80 प्रतिशत जनसंख्या को सीधा लाभ मिलेगा। दुर्घटनाओं और जाम की समस्या हल होगी, लेकिन अफसर और नेता अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। कटनी की जनता सवाल पूछ रही है कि उनकी सुविधा कब प्राथमिकता बनेगी और कब तक इस सडक़ पर हादसे और जाम का सिलसिला चलता रहेगा? कटनी के लोगों की मांग है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस सडक़ का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा करें और चुनावी वादों को सिर्फ मंचों तक सीमित न रखें।
घंटाघर से जगन्नाथ चौक तक सडक़ चौड़ीकरण व निर्माण के लिए अतिक्रमण व अधिग्रहण की कार्रवाई होना है। मुआवजा राशि के निर्धारण को लेकर चर्चा की गई है, कुछ प्रक्रिया बाकी है, जिसे पूरा किया जा रहा है। नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। नवंबर माह में पूरी प्रक्रिया अपना ली जाएगी।
नीलेश दुबे, आयुक्त, नगर निगम।