बहुत पुराना है डायमंड सिस्टम
रेल सूत्रों की मानें तो ए केबिन के पास बना रेलपांत का डायमंड सिस्टम अंग्रेजों के जमाने का है। बढ़ती तकनीक और आधुनिक दौर में उस सिस्टम के खराब होने वाले उपकरण भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते। बताया जा रहा है कि इस सिस्टम से इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को भी काफी दिक्कत होती है। इसके अलावा यहां पर ट्रेनों के मूवमेंट में फर्क पड़ता है, इसलिए रेल अफसरों ने यह निर्णय लिया है। अभी कटनी से साउथ रेलवे स्टेशन तक याने कि ए केबिन के पास ट्रेनें 15 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ही चलती हैं, जिससे काफी समय प्रभावित होता है। इस समस्या से निजात दिलाई जानी है।
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खास-खास:
– ए और बी केबिन हो जाएगी सेट्रलाइज, एक जगह से हागी मॉनीटरिंग, जिससे ट्रेनों के परिचालन में होगी आसानी।
– स्टेशन के आउटर में ट्रेनों की रफ्तार धीमी होने के कारण होती हैं घटनाएं, एनआइ से दूर होगी समस्या।
– जबलपुर से प्लेटफॉर्म दो और तीन में आने वाली ट्रेनों के लिए पड़ता है अधिक घुमाव, जिससे रफ्तार हो जाती है कम।
– डाउन मेन लाइन 104 नंबर, अप लाइन में 102 नंबर पर होगा विशेष काम, 103, 104 पर भी होगा काम।
इनका कहना है
ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाने और समस्या समाधान को लेकर एनआइ वर्क होगा। इसमें डायमंड क्रॉसिंग को अलग किया जाएगा। प्रस्ताव तैयार कर अधिकारियों को भेजा है। एजीएम और जीएम के साथ मीटिंग होनी है। मेन लाइन अभी सीधी नहीं है, क्रॉसिंग भी सीधी होगी। मेन लाइन में दोनों साइड में क्रॉसिंग है। डाउन वाली लाइन अप में कन्वर्ट होती है। प्लेटफॉर्म दो की लाइन लूप लाइन में हो जाएगी। इससे ट्रेनों की रफ्तार पर बहुत फर्क पड़ेगा।
प्रसंन्न कुमार, एरिया मैनेजर।