script‘बिना साक्ष्य पुलिस दर्ज नहीं कर पाएगी मुकदमा, न्यायालय के मामलों में भी आएगी तेजी | 'Police will not be able to file a case without evidence' Court cases will also speed up | Patrika News
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‘बिना साक्ष्य पुलिस दर्ज नहीं कर पाएगी मुकदमा, न्यायालय के मामलों में भी आएगी तेजी

सामूहिक दुष्कर्म और भीड़ द्वारा हत्या पर होगी मौत की सजा- इसमें बदलाव से कोर्ट में मामलों की सुनवाई में भी तेजी आएगी। नए कानूनी प्रावधानों के तहत कोर्ट में सुनवाई प्रक्रिया पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखने के 45 दिनों के अंदर ही फैसला भी सुनाया जा सकेगा। आपराधिक मामलों में जांच, गिरफ्तारी, अदालती सुनवाई, जमानत और सजा की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। यौन उत्पीड़न पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। नए प्रावधान में राजद्रोह को हटा दिया गया, लेकिन अलगाववाद, विद्रोह और भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता के खिलाफ काम करने वालों को दंडित करने वाला एक और प्रावधान लाया गया है। मॉब लिचिंग में भी मृत्युदंड की सजा होगी।

कटनीJul 01, 2024 / 07:54 pm

brajesh tiwari

कटनी. जिलेवासियों के लिए १ जुलाई फिर ऐतिहासिक दिन होने जा रहा है। आज से नई कानून व्यवस्था लागू हो जाएगी। जन पीड़ित, समाज के कमजोर वर्गों पर केंद्रित न्याय विधान लागू हो रहा है। 1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा। भारतीय दंड संहिता १८६०, दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ और भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ क्रमश: भारतीय न्याय संहिता २०२३, भारतीय नागरिक संहिता २०२३, भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ हो जाएंगे। आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम उठाया गया है। भारतीय मूल्यों पर आधारित ये नए कानून दंडात्मक से न्याय, उन्मुख दृष्टिकोण में बड़े बदलाव के संकेत हैं। खास बात तो यह है कि अब जनता घर बैठे एफआइआर करा पाएगी और किसी भी थाने में मुकदमा दर्ज होगा। क्षेत्रवार का झंझट खत्म होगा। समय आधारित न्याय व्यवस्था लागू हो रही है। पुलिस से लेकर न्यायालय तक सबके लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। प्रमुख बिंदू यह है कि लोग झूठी शिकायतें नहीं कर पाएंगे। ऑडियो, वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत करना होगा। गवाह भी बयान नहीं बदल पाएंगे, क्योंकि ऑडियो-वीडियो में बयान रिकॉर्ड होंगे।
सामूहिक दुष्कर्म और भीड़ द्वारा हत्या पर होगी मौत की सजा- इसमें बदलाव से कोर्ट में मामलों की सुनवाई में भी तेजी आएगी। नए कानूनी प्रावधानों के तहत कोर्ट में सुनवाई प्रक्रिया पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखने के 45 दिनों के अंदर ही फैसला भी सुनाया जा सकेगा। आपराधिक मामलों में जांच, गिरफ्तारी, अदालती सुनवाई, जमानत और सजा की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। यौन उत्पीड़न पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। नए प्रावधान में राजद्रोह को हटा दिया गया, लेकिन अलगाववाद, विद्रोह और भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता के खिलाफ काम करने वालों को दंडित करने वाला एक और प्रावधान लाया गया है। मॉब लिचिंग में भी मृत्युदंड की सजा होगी।
नई धाराएं बनी हैं चर्चा का विषय- नए कानून लागू होने से पहले सभी थानों में व्यवस्थाएं बदलने लगी हैं। अधिकारी स्टॉफ को नई धाराओं की ट्रेनिंग दे रहे हैं तो स्टाफ भी इसे जानने में रुचि ले रहा है। व्यवस्थाओं के मद्देनजर कोतवाली थाने में हेल्प डेस्क से लेकर जांच अधिकारी तक नई धाराओं को लेकर चर्चा करते दिखे। उन्होंने बताया कि वे नई धाराओं वाला चार्ट अपनी डेस्क और दीवार पर लगाने वाले हैं, ताकि शिकायत के आधार पर उचित धाराएं लगा सकें। चार्ट में पुरानी धाराओं के सामने नई धाराएं रहेंगी। टीआइ आशीष शर्मा ने बताया कि थाने में मुख्यालय की तरफ से नए कानून की किताब मिली है। यह सभी की टेबल पर रहेगी।
१३ थानों व अनुभाग के स्टॉफ को किया ट्रेंड- शहर व जिले के १३ थानों में नए कानून को लेकर अधिकारियों की ट्रेनिंग दी गई है। अधिकारी मीटिंग ले रहे हैं। खासतौर पर थाने के स्टॉफ को ट्रेंड कर रहे हैं, ताकि वे सही धाराओं का चयन कर सकें। इसके लिए उन्हें एनसीआरबी संचलन ऐप के बारे में बताया गया है। इस ऐप को कोई भी मोबाइल में डाउनलोड कर सकता है। इसमें भारतीय दंड संहिता, 1860 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराओं की टेबल देखने को मिलेगी।
भारतीय साक्ष्य विधेयक- भारतीय साक्ष्य अधिनियम में मुख्य परिवर्तन हुए हैं। आइइए धाराओं की संख्या १६७ से बढ़ाकर की गईं बीएसए १७० कर दी गई हैं। २४ धाराएं बदलीं, २ नईं जोड़ीं, ६ धाराओं को निरस्त किया गया है। दस्तावेजों में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ई-मेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थान साक्ष्य, मेल, डिवाइस पर संदेश शामिल होंगे। केस डायरी, आरआर चार्जशीट व निर्णय सहित सभी के डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव कागजी रिकॉर्ड के समान होगा।
महिलाओं व बच्चों के लिए विशेष प्रावधान
नए कानून में महिलाओं व बच्चों का विशेष ध्यान रखा गया है। अपराध से निपटने के लिए ३७ धाराएं शामिल की गई हैं। १८ वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार पर आजीवन कारावास व मृत्युदंड का प्रावधान तय किया गया है। चिकित्सक पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के अंदर जांच अधिकारी को भेजेंगे। बलात्कार पीड़िता का बयान केवल महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा बयान दर्ज किए जाएंगे। अनुपस्थिति में किसी महिला की मौजूदगी में पुरुष न्यायिक मजिस्टे्रट बयान लेंगे। वहीं अन्य मामलों में ९० दिन के अंदर जांच की प्रगति बतानी होगी। गवाहों को डराने-धमकाने के मामले में गवाह संरक्षण योजना शुरू की गई है।
यह हुए मुख्य परिवर्तन
द्द आइपीसी की ५११ धाराओं को घटाकर कर दिया गया है ३५८ बीएनएस।
द्द नए कानून में जोड़े गए हैं २० नए प्रकार के अपराध।
द्द कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का किया गया है प्रावधान।
द्द ६ छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा की होगी सजा।
द्द कई अपराधों में बढ़ाया गया जुर्माना, सजा की अवधि भी बढ़ी।
द्द महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध एक अध्याय में किए समेकित।
द्द धारा ६९ में झूठे वादे और यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान।
द्द धारा ७०(२) सामूहिक बलात्कार में मृत्युदंड का तय किया गया प्रावधान।
द्द सीआरपीसी की धाराएं ४८४ से बढ़कर बीएनएफएस ५३१ हुईं।
द्द १७७ धाराओं को किया प्रतिस्थापित, ९ नई जोड़ीं, १४ की गईं निरस्त।
द्द धारा १७३ के तहत जीरो एफआइआर, इ-एफआइआर का तय किया प्रावधान।
कहलाएंगी ये धाराएं
आइपीसी विषय नई बीएनएस धारा
३०२ हत्या की सजा १०३
३०४ बी दहेज मुत्यु की सजा ८०
३७९ चोरी की सजा ३०३
३७६ बलात्कार की सजा ६४
४२० धोखाधड़ी की सजा ३१८
४९८ए पति की क्रूरता ८५
१२०बी आपराधिक षडयंत्र ६१
सीआरपीसी से बीएनएसएस
१४४ कार्य. मजिस्टे्रट आदेश १६३
१५१ असंज्ञेय अपराध १७०
१५७ प्राथमिकी १७३
१७३ अंतिम रिपोर्ट १९३

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