आवागमन में समस्या होने के कारण ग्राम में पदस्थ शिक्षिका के द्वारा परेशान होकर स्कूल भवन में विद्यालय ना खोलकर पहाड़ के नीचे निजी भवन में खोला गया है। शासकीय सेवाओं से संबंधित एएनएम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता भी सड़क की समस्या के कारण खासा परेशान है। बारिश के दिनों में प्रसूताओं को झोली डोली में स्वास्थ केंद्र ले जाना पड़ता है और छोटे बच्चे जान जोखिम में डालकर पथरीली सड़क से स्कूल जाने को मजबूर रहते हैं।
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देश के विकास से नहीं जुड़ सका गांव
वहीं, गांव की एक युवती का कहना है कि सड़क विहीन गांव में शादी संबंध बनाने में भी लोग डरते हैं। वहीं गांव की एक बुजुर्ग महिला का कहना है कि यहां नेता वोट मांगने तो आते हैं, लेकिन सड़क नहीं बनवाते। एक अन्य ग्रामीण लक्ष्मण सिंह का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पास भी समस्या पहुंचाई थी, लेकिन निराकरण नहीं हुआ। नए सीएम मोहन यादव से भी समस्या के निराकरण करने की मांग कर चुके हैं। वर्ष 2016 में तत्कालीन कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने गांव का दौरा किया था, जिसके बाद आरईएस विभाग ने सड़क निर्माण की स्वीकृति मिलने के बावजूद सड़क निर्माण का काम शुरु नहीं किया। इस तरह जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आजादी के 76 साल बाद भी ये गांव देश के विकास से अबतक रत्तीभर भी नहीं जुड़ सका है।