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दुबई में दुबके सट्टा किंग से जुड़ रहे ऑनलाइन सट्टा के तार, महादेव एप का फैला नेटवर्क

इडी के पास जांच के लिए जा सकता है मामला, यूपीआई के केवायसी की जानकारी लगने व हैंडलर दुर्गेश की गिरफ्तारी के बाद खुलेगा बड़ा राज, छत्तसीगढ़ से भी जुड़ रहे तार

कटनीFeb 10, 2024 / 09:11 pm

balmeek pandey

दुबई में दुबके सट्टा किंग से जुड़ रहे ऑनलाइन सट्टा के तार, महादेव एप का फैला नेटवर्क

दुबई में दुबके सट्टा किंग से जुड़ रहे ऑनलाइन सट्टा के तार, महादेव एप का फैला नेटवर्क

कटनी. सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक में गैंतरा निवासी 17 बेरोजगार युवकों व विद्यार्थियों को अवैध लाभ का सब्जबाग दिखाकर उनके खाते खुलवाते हुए सट्टा के लिए किए गए करोड़ों रुपए के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन मामले के तार शहर के नामी सटोरिया से तार जुडऩा बताया जा रहा है। सट्टा किंग भले ही सात समंदर पार दुबई में दुबका हो, लेकिन इस बड़े नेटवर्क में उसकी संलिप्तता को इन्कार नहीं किया जा सकता। सट्टे के तार पंजवानी से जुड़ते नजर आ रहे हैं। हालांकि कि पुलिस इस मामले में अभी कुछ भी कहने से बच रही है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आठ आरोपियों के पास से मिले रिकॉर्ड में भले ही 4 करोड़ का हिसाब मिला है, लेकिन यह रकम कई करोड़ में है। जैसे-जैसे पुलिस इन बैंक खातों के ट्रांजेक्शन, यूपीआइ होल्डरों के केवायसी का पता लगाएगी, वैसे-वैसे बड़े कांड का पर्दाफाश होगा।
सूर्योदय बैंक के इस सनसनीखेज प्रकरण सामने आने के बाद पुलिस द्वारा किए गए खुलासे से साफ हो गया है कि यह पूरा खेल सट्टे से जुड़ा है। पूरा मायाजाल महादेव एप सहित अन्य एपों का है, जिनका पता लगाया जा रहा है। इस एप का नेटवर्क ही बेनामी कमाई के लिए शहर से लेकर देशभर के लोगों को जोड़ रहा है। इसके सरगने का भी पुलिस पता लगा रही है। बड़े मनी लॉड्रिंग का केस होने के कारण पुलिस भी इस अध्याय को जल्दी समेटने के फिराक में है। इसका पटाक्षेप करने के लिए हैंडलर दुर्गेश यादव को दबोचने में लगी है। इस बड़े मामले में इडी के एंट्री होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि आरोपी के सुराग का पता चल गया था। दुर्गेश घर में संपर्क करना शुरू कर दिया था, लेकिन पुलिस विभाग से कुछ दिन पहले ही सेवानिवृत्त हुए अधिकारी की भूमिका के कारण उसने संपर्क साधना बंद कर दिया है।

इडी के पास जा सकती हैं जांच
ऑनलाइन सट्टा का यह जाल किसी बड़ी मनी लॉड्रिंग से कम नहीं है। पुलिस की मानें तो अभी तक प्रारंभिक जांच में 4 करोड़ रुपए का हिसाब मिला है। यह आंकड़ा 50 करोड़ रुपए से भी अधिक का है। इसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है, जिसका पता लगाने में पुलिस का पसीना छूट रहा है। बड़ी मात्रा में रकम का अवैध कारोबार हुआ है, इसलिए इस संबंध में इडी द्वारा भी मामले में पूछताछ की जा सकती है। पुलिस भी मामले को इडी में भेजने पहल करेगी।

महादेव एप का मायाजाल
ऑनलाइन सट्टे का पूरा कारोबार महादेव एप सहित अन्य पोर्टल व एप के माध्यम से हुआ है। टेलीग्राम और वाट्सएप के माध्यम से यह अवैध कारोबार फलफूल रहा था। सूत्रों की मानें तो टेलीग्राम में महादेव की सर्चिंग करते ही पूरा नेटवर्क लोगों के सामने आ जाता है और फिर इसमें दर्ज नंबर में क्लिक करते ही लोग वॉट्सएप से जुड़ जाते हैं और फिर बातचीत शुरू कर सट्टा खेलना शुरू कर दे रहे थे। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले छत्तीसगढ़ में मचे बवाल में भी इसी एप का नाम आया था, वहां से भी इसके तार जुड़ रहे हैं।

क्रिकेट सहित कई खेल व वर्चुअल सट्टा
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार ये बदमाश सिर्फ क्रिकेट सट्टा ही नहीं बल्कि कई खेलों में सट्टा खिला रहे थे। पूरे गेम वर्चुअली चलता है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेल सहित गतिविधियों पर अवैध लाभ कमाने का खेल फलफूल रहा है। भोपाल से ऑपरेट होने वाले सट्टे में सरगना कौन है, अभी इसका पता पुलिस नहीं लगा पाई है।

युवकों से चल रही पूछताछ
पुलिस ने आरोपियों को रिमांड पर लिया है। उनसे इस पूरे खेल के संबंध में पूछताछ कर रही है। युवकों के पास से पुलिस रे रिकॉर्ड भी जब्त किए हैं, जिनका बारीकी से परीक्षण कर रही है। उनके मोबाइल, लैपटॉप आदि में मिले पोर्टल और एप में भी वास्तविकता को खंगाल रही है।

बैंकों से पूछताछ जारी
पुलिस बैंकों से अभी भी पूछताछ कर रही है। करोड़ों रुपए के हुए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में पुलिस एयू बैंक, बंधन बैंक, आइडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ सहित अन्य बैंकों के रिकॉर्ड को खंगला रही है व हुए ट्रांजेक्शन का पता लगा रही है। निजी बैंकों से समय पर जानकारी न मिलने के कारण भी जांच प्रभावित हो रही है।

वर्जन
मामले में आरोपियों से पूछताछ जारी है। जब्त रिकॉड की भी जांच कराई जा रही है। हैंडलर की गिरफ्तारी के बाद आगे की स्थिति स्पष्ट होगी। करोड़ों रुपए के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में केवायसी का पता नहीं चल पा रहा है। बैंकों से जानकारी ले रहे हैं। इडी भी इस मामले में जांच कर सकती है।
अभिजीत रंजन, एसपी।

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