आय में वृद्धि पर नहीं जोर
निगम का अमला आय में वृद्धि पर फोकस नहीं कर रहा है। सैकड़ों लोगों पर करोड़ों रुपए का टैक्स बकाया है, जिस पर राजस्व विभाग ध्यान नहीं दे रहा। नगर निगम को संपत्तिकर, जलकर, कॉलोनी अनुज्ञा, भवन नक्शा, ट्रेड लाइसेंस, विज्ञापन फलक यूनीपोल, जुर्माना, नगर निगम की दुकानों से किराया, आवेदन शुल्क, प्रधानमंत्री आवास योजना के एलआइजी, एमआइजी बेचकर, कलेक्ट्रेट के सामने बने व्यवसायिक कॉम्पलैक्स की नीलामी के लिए प्रक्रिया समय पर अपनाकर राशि जुटानी होगी।
- जल प्रदाय का बिजली बिल, जलप्रदाय में संचालन संधारण का इंडियन ह्यूम पाइप को 18 लाख रुपए का भुगतान।
- नग रनिगम हुडको से है है लोन, 7 से 8 लाख रुपए तिमाही जा रही है किश्त।
- टेलीफोन बिल, इंटरनेट बिल, सिम रिचार्ज, किराये के वाहन का भुगतान, डीजल खर्च का हो रहा लाखों रुपए भुगतान।
- पार्षदों के मानदेय सहित अन्य भुगतान का है निगम पर बोझ।
जानकारी के अनुसार नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना में जो रुपए खर्च किए हैं, उसमें गंभीरता से ध्यान नहीं दियागया। उनको पार्ट में बनाना था, लेकिन एकदम से प्रेमनगर में रुपए जाम हो गए, झिंझरी वाली योजना भी फेल है। इसके अलावा नगर निगम ने रोड स्वीपिंग मशीन, सीवर मशीन, फायर ब्रिगेड, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए 15 वाहन, एमएसडब्ल्यू को 55 लाख रुपए हर माह ट्रिपिंग फीस, स्टोर से हर माह कई लाख रुपए की खरीदी, मनमानी स्ट्रीट लाइट खरीदी, सरकारी आयोजनों में बड़ी रकम का खेल हो रहा है, जिससे निगम आर्थिक तंगी की ओर पहुंच गई है।
इस खेल से भी बढ़ रहा आर्थिक बोझ
नगर निगम सूत्रों की मानें तो एक लाख रुपए से कम काम के नाम पर बड़ा खेल किया जा रहा है। दो कार्यपालन यंत्री, डीसी को एक लाख रुपए तक के कार्य स्वीकृत करने का वित्तीय पॉवर है। नगर निगम के कुछ अधिकारी जो ठेकेदारी भी कर रहे हैं, वे एक लाख रुपए हर माह लगभग 30 से 35 फाइलें करा रहे हैं, जिनके काम की न तो निगरानी होती और ना ही कोई जांच। काम की औपचारिकता पहले हो जाती है, फिर भुगतान के लिए फाइल चल रही है।
अधीक्षण यंत्री श्रीराम पांडेय ने बताया कि नगर निगम पर पौने दो करोड़ रुपए से अधिक की राशि बकाया है। सितंबर माह में 40 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। घरेलू और कार्यालय कनेक्शन का एक करोड़ 5 लाख रुपए व फिल्टर प्लांट, स्ट्रीट लाइट आदि एचपी हाइटेंशन लाइन का 79 लाख रुपए रुपए बकाया है। 31 अगस्त तक भुगतान करना था। इस वित्तीय वर्ष में चुंगी क्षतिपूर्ति से माह मार्च व एक बार और आया है। टीएल बैठक में कलेक्टर ने सभी विभागों का कहा है कि विद्युत विभाग के देयकों का समय पर भुगतान करें। हमारे प्रभारी आयुक्त व जिला पंचायत सीइओ शिशिर गेमावत से भी मिलकर भुगतान कराने पत्राचार किया है।