एक बच्ची ने नृत्य के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन किया, वहीं एक दृष्टिहीन बच्चे ने अपनी मधुर आवाज से सभी का मन मोह लिया। इन बच्चों के आत्मविश्वास और मेहनत ने यह साबित किया कि शारीरिक सीमाएं सपनों को रोक नहीं सकतीं। खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी बच्चों ने बढ़-चढकऱ हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में 239 बच्चों ने भागीदारी की। जिसमें बड़वारा से 20, बहोरीबंद से 25, ढीमरखेड़ा से 30, कटनी से 104, रीठी से 25 व विजयराघवगढ़ से 35 बच्चे शामिल थे।
ट्रेनें निरस्त: अधूरी पड़ी कटनी-बीना थर्ड लाइन, स्टेशन जोड़ रहे अफसर
ये हुईं प्रतियोगिताएं
इस दौरान कंचा दौड़ बालक, बालिका, कुर्सी दौड़ बालक व बालिका, रंगोली बालिका वर्ग, मेहंदी प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसके इलावा चित्रकला प्रतियोगिता, क्रिकेट प्रतियोगिता, बौची बॉल आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। मनोरंजक गतिविधियों में बच्चों ने पूरे जोश के साथ हिस्सा लिया। डीपीसी केके डहेरिया ने कहा कि खेलों में उनकी सहभागिता ने दर्शाया कि दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कलेक्टर दिलीप यादव ने बच्चों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, यह बच्चे समाज के लिए प्रेरणा हैं। उनके हौंसले और मेहनत से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मकता और उत्साह बनाए रखना चाहिए। यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के लिए उत्साहवर्धक रहा, बल्कि समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी लेकर आया। आयोजकों ने दिव्यांग बच्चों के अधिकारों और उनकी क्षमताओं के प्रति जागरूकता फैलाने का भी प्रयास किया। इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग नयन सिंह ने दिव्यांगों के हितों में चलाई जा रहीं योजनाओं की जानकारी विस्तार से दी। कैसे लाभ मिलेगा यह भी बताया।