जानकारी के अनुसार मिसल अभिलेख 1907-08 में मौके पर 0.36 एकड़ जमीन पानी मद में और कैफियत में नाला दर्ज है। वर्तमान में मौके पर चौड़ा नाला तो है लेकिन खसरा नंबर 442 मूल स्वरूप के रूप में दर्ज नहीं है। बल्कि बटांकन खसरा नंबर के रूप में निर्मित हो गए है। कंप्यूटर अभिलेखों के अनुसार सभी बटांकन खसरा नंबर भूमिस्वामी स्वत्व में दर्ज हो गए है और शासकीय मद पानी-नाला का कोई बटांकन खसरा नंबर निर्मित नहीं है। इससे साफ जाहिर होता है कि मौके से सरकारी नाला पूरी तरह से सरकारी दस्तावेजों में मिटा दिया गया है और पानी मद की 0.36 एकड़ जमीन भी पूंजीपतियों के नाम पर दर्ज हो गई है।
बिल्डर द्वारा नाला पर बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए पुराने पुल की सीमा को भी दरकिनार कर दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि मुख्य सडक़ से दक्षिण दिशा की ओर पुराना पुल निर्मित है। पुराने पुल की सीमा के अंदर दक्षिण-पूर्व की ओर बाउंड्रीवाल का निर्माण किया गया है, जिससे नाले के मूल स्वरूप में परिवर्तन हुआ है।
जानकारी के अनुसार खिरहनी में यह रपटा वर्षों पुराना है। कुछ साल पूर्व ही इसके पुराने पुल के स्थान पर नये पुल का निर्माण किया गया है। नवरात्र व गणेश उत्सव के बाद यहां बड़ी संख्या में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। प्रशासन ने जनसहयोग से यहां भी रपटा नदी के बहाव को व्यवस्थित करवाया है। जेसीबी व पोकलीन मशीन से बहाव क्षेत्र की गहराई बढ़ाई गई थी।
जानकारी के अनुसार नगरनिगम द्वारा रपटा नदी पर हो रहे कब्जे व अवैध निर्माण में दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। डेढ़ वर्ष पूर्व कलेक्टर अविप्रसाद ने पुरैनी सब्जीमंडी के सामने भूमाफिया द्वारा नाले के स्वरूप से छेड़छाड़ करने पर कार्रवाई कराई थी। यहां नगरनिगम द्वारा जेसीबी की मदद से नाले को पूर्व स्वरूप में लाया गया था लेकिन रपटा नदी पर चल रही मनमानी की ओर अफसरों का ध्यान नहीं है।
बीते दिनों हुई बारिश के कारण रपटा नाले में कब्जा होने के कारण यहां हालात भी बिगड़ गए है। अधिक वर्षा होने व नाले का पानी सही तरीके से निकल न पाने के कारण पानी सडक़ पर जमा हो गया था। जिसके कारण करीब पांच घंटे तक कटनी से बड़वारा, बरही सहित आधा सैकड़ा से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया था। एक परिवार भी फंस गया था, जिसका रेस्क्यू किया गया था।
पत्रिका ने प्राकृतिक नाले पर किए जा रहे अवैध निर्माण और भविष्य में होने वाली परेशानियों को लेकर खबर का प्रकाशन किया था। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। हालांकि प्रारंभिक जांच में प्रशासन ने बिल्डर को क्लीनचिट दे दी थी लेकिन नदियों के सीमांकन का मुद्दा उठने के बाद फिर यहां जांच कराई गई और प्राकृतिक नाले में बांउड्रीवाल का निर्माण होना व बहाव परिवर्तित होना पाया गया।
रपटा में नाले पर बाउंड्रीवाल निर्माण किए जाने की जांच कराई गई है। जांच में यह सामने आया है कि बाउंड्रीवाल नाले पर बना दी गई है जिससे नाले के मूल स्वरूप में परिवर्तन होना नजर आ रहा है। प्रवीण कुमार बजाज निवासी राहुल बाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। जवाब मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
रपटा में जहां बांउड्रीवाल बनाई गई है वह मेरी निजी जमीन है। मौके पर न तो शासकीय नाला है और न ही सरकारी जमीन। वर्तमान में मैं बाहर हुं। नोटिस के संबंध में जानकारी मिली है। प्रशासन को जवाब दिया जाएगा।
प्रवीण कुमार बजाज, बिल्डर