साइड के रास्ते से बैराज के गेट ऊपरी हिस्से में बनी रेलिंग में चढ़ने के बाद छलांग लगाते हैं। बच्चे भले ही नदी में नहाने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर इस तरह से बिना किसी सुरक्षा उपाय के नदी में छलांग लगाना न सिर्फ वो जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि बैराज को भी क्षति पहुंचा सकते हैं। क्योंकि, बैराज के समीप कोई भी कर्मचारी नहीं होता। पंपं हाउस में रहते हैं, वे यहां पर नहाने, उछलकूद मचाने वाले बच्चों को भी नहीं रोकते। इससे किसी बड़ी होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
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इस तरह जान की परवाह किये बिना नदी में कूदते हैं किशोर
नदी में बड़ी मात्रा में जलकुंभी भी होती है, जिससे बच्चों के फंसने का डर बना रहता है। पूर्व में कई गंभीर हादसे भी हो चुके हैं, इसके बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। मामले में निगम आयुक्त सत्येंद्र धाकरे का कहना है कि, एक दिन पहले ही बैराज का निरीक्षण किया है, वहां पर बच्चे नहीं मिले। अगर वो इस तरह से बैराज में चढ़कर नदी में छलांग लगा रहे हैं तो इस पर रोक लगाई जाएगी। कर्मचारियाें को उन्हें रोकने कहा जाएगा।