करौली

घने जंगल के बीच खड़ा यह दुर्ग है सिकंदर लोधी से राजपूतों के संघर्ष का गवाह, अब आते हैं चंबल के डाकू

प्राचीन दुर्ग उतगिरि का ऐतिहासिक शोध जिसमें करौली के यदुवंशी, जादौन राजपूतों का सिकन्दर लोदी से खूनी-संघर्ष बताया गया है…

करौलीApr 23, 2018 / 05:40 pm

Vijay ram

करौली. राजस्थान के करौली में उतगिरि के किले को मध्यकालीन राजपूताने के विशाल दुर्गों में माना जाता है। यह दुर्ग घने जंगल के भीतरी भाग में स्थित है।
 

दुर्ग के आस-पास कोई भी वस्ती की बसावट नहीं है। जंगली क्षेत्र को पार करके दुर्ग तक पहुंचना बड़ा दुष्कर व कठिन कार्य है। जंगली जानवरों का भी डर रहता है इस बजह से इस विशाल दुर्ग पर अधिक शोधकार्य भी नहीं हो पाया जिसकी बजह से इस दुर्ग के विषय में कम जानकारी है ।
 

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस दुर्ग का निर्माण लोधी जाति के लोगों ने करवाया था। इस जाति के लोग बीहड़ पहाड़ी चम्बल किनारे वाले इस क्षेत्र पर लम्बे समय से ही कब्जा किये हुए थे। उन्होंने ही समय-समय पर यहां पर बांध और तालाब बनवाये।
 

मुगल इतिहासकारों ने उतगढ़ को भिन्न -भिन्न नामों से लिखा है जैसे उदितनगर ,उन तगर,अवन्तगर, उटनगर, उटगर ,अवन्तगढ़, अंतगढ़ और अनुवंतगढ़ है।इसका वास्तविक या शुद्ध नाम उतगढ़ या अवन्तगढ़ है।मुगल इतिहासकारों ने सुल्तानेत काल का इतिहास लिखते समय बार-बार इस किले का वर्णन किया है यह दुर्ग करौली राज्य के भू -भाग में ग्वालियर ओर नरवर के बीच में करनपुर के पश्चिम में कल्याणपुर के पास स्थित है।
 

करौली नगर से यह दुर्ग 40 किमी दक्षिण पश्चिम में है । दुर्ग तीन तरफ से उन्नत पहाड़ियों एवं सघन वन क्षेत्र से घिरा हुआ है । झरने,तालाब और सतियों की खंडित छतरियां । दुर्ग का नाम किसी शासक के नाम पर होने के कोई प्रमाण नहीं प्राप्त हुए है ।यह दुर्ग 4 किमी0 की परिधि में पक्के परकोटे द्वारा बना हुआ है ।दुर्ग के नीचे झरने,तालाब और सतियों की खंडित छतरियां है।दुर्ग के चारों ओर उन्नत एवं सुद्रढ़ प्राचीर हैं।दुर्ग में जाने के लिए दो विशाल दरवाजेओर एक बारीहै।इमली वाली पोल इसका मुख्य द्वार है दुर्ग में कई भवन ,तालाब , मंदिर आदि है जो जीर्ण -शीर्ण हो चुके है।

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