नहीं मिली सरकार से मदद उस दौरान तत्कालीन चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड से गुहार करने पर उन्होंने भूपेन्द्र के उपचार के लिए चिकित्सकों की कमेटी गठित की। चिकित्सकों ने रिपोर्ट दी कि दोनों हाथ कोहनी के ऊपर से कटे हैं। ऐसे में केडेवर हैण्ड नहीं लग सकते, आर्टिफिशियल लिंब लगाने होंगे। इसका खर्च 8 लाख रुपए बताया। इसमें सरकार ने केवल 40 प्रतिशत राशि देने की बात कही। शेष राशि का प्रबंध करना परिवार के बूते नहीं था। इस कारण भूपेन्द्र उपचार से वंचित रहा। उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अपनी विवशता में मदद के लिए पत्र लिखा तो वहां से 50 हजार की सहायता उपचार को स्वीकृत हुई। ऊंट के मुंह में जीरे के समान इस राशि से उपचार संभव था नहीं, इसलिए ये राशि वापस लौट गई। अब आर्टिफिशियल लिंब के उपचार का खर्च बढ़कर 18 लाख तक पहुंच गया है। जिस परिवार के पास दो समय के खाने का प्रबंध न हो, उसके लिए इतनी राशि का प्रबंध करना मुमकिन नहीं।
निर्धनता बनी उपचार में बाधक भूपेन्द्र अपनी दीन-दशा को देख रोता है। नि:शक्ता के साथ उसका दर्द है कि दैनिक नित्य कर्म से लेकर छोटेे कामों के लिए वह बूढ़े माता-पिता पर बोझ बन गया है। माता-पिता की सेवा करने की उम्र में वह उनसे सेवा कराना नहीं चाहता। इसी मंशा से उसने अपने स्तर पर कृत्रिम हाथों के लिए जानकारी जुटाई है। भूपेन्द्र के अनुसार केरल के एक हॉस्पीटल ने उसके उपचार का खर्च18 लाख रुपए बताया है। लेकिन निर्धन परिवार के लिए इस राशि का प्रबंध संभव नहीं। गांव में जो पुश्तैनी भूमि थी वो विवादों के कारण कब्जे में नहीं है। दुर्घटना क्लेम की मिली राशि से करौली में बरखेड़ा पुल के समीप अविकसित इलाके में एक कमरा बनाकर वो रहते हैं।
कैसे भरें पेट पेट भरने को सरकार से सामाजिक सहायता योजना में मिलने वाली 750 रुपए मासिक पेंशन सहारा है। तीनों की 2 हजार रुपए महीने की पेंशन से महंगाई के दौर में ये परिवार अपना पेट भरता है। एक तो हादसे में हाथ जाने का दर्द और उसके ऊपर निर्धनता की मार ने भूपेन्द्र को अंदर तक तोड़ डाला है। दिन में न जाने कितनी बार उसकी आंखों से आंसु छलकते हैं तो बूढ़े माता-पिता उसको दिलासा देकर आंसु पौंछते हैं। वे भी कलेजे पर पत्थर रखे हैं। उनको अपने से अधिक भूपेन्द्र के भविष्य की चिंता सता रही है। भूपेन्द्र के इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं कि जब माता-पिता इस दुनिया से चले जाएंगे तो मेरे को कौन संभालेगा।