विनोद निगम
कानपुर. यूपी चुनाव में अधिकतर दलों ने अपने सीएम कैंडीडेट का एलान कर दिया है। लेकिन भाजपा के पास यूपी में कोई चेहरा न होने के चलते विरोधी दल उसे अक्सर घेरते रहते हैं। लेकिन शुक्रवार को एक पब्लिक सभा के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक घंटे के भाषण में एक नाम 21 बार लिया।
गृहमंत्री ने विरोधी दलों पर हमला बोलते हुए कहा था कि उनके पास दीदी, बुआ और बबुआ हैं तो इनसे अकेले दम चुनाव जीतने के लिए भाजपा के पास फुलवा है (नरेंद्र मोदी)। हम फुलवा के दम पर 2017 का चुनाव लड़ने जा रहे हैं और इसके सामने विरोधी दलों के पास कोई जननेता नहीं है। सपा, बसपा जाति धर्म के वोटरों पर राजनाति करते हैं और उनके कदम से कदम मिला कर कांग्रेस भी चल रही है। भाजपा का फुलवा सबका साथ सबका विकास के नाम पर यूपी की जनता के पास जा रहा है। राजनाथ की पब्लिक सभा के दौरान यूपी के फुलवा के नाम पर चुनाव के एलान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है। अब विरोधी दलों के नेता भी मानने लगे हैं कि भाजपा नमो के नाम पर यूपी का चुनाव लड़ने जा रही है।
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भाजपा ने यूपी फतह करने के लिए जिस तरह से सीएम कैंडीडेट नहीं उतारा है, इससे भगवाधारियों को फायदा होगा। जर्नलिस्ट विभाग के एचओडी अजय भट्ट ने बताया कि भाजपा के पास यूपी चुनाव जीतने के लिए कोई जातिगत कद्दावर नेता इस समय नहीं है। कल्याण सिंह के बाद भाजपा के पास यूपी में कोई दमदार नेता नहीं हो पाया। इसी के चलते प्रधानमंत्री के नाम पर भाजपा यूपी चुनाव में उतरेगी। भट्ट के मुकाबिक इससे भाजपा को फायदा मिलेगा, क्योंकि यूपी के चुनाव जाति के आधार पर लड़े जाते हैं। अगर ओबीसी, ब्राह्मण व दलित कैंडीडेट भाजपा उतारती तो इनमें से कुछ समाज के वोट कट सकते थे। साथ ही पीएम के नाम पर जाने से भाजपा गुटबाजी से भी बचेगी।
फरवरी में हो सकते हैं यूपी के चुनाव
अजय भट्ट के मुताबिक पीएम की रैली के बाद किसी भी दिन आयोग चुनाव की घोषणा कर सकता है। फरवरी में अगर विधानसभा के चुनाव होते हैं तो इसका सबसे ज्यादा फाएदा भाजपा को होगा। क्योंकि नोटबंदी के बाद विरोधी दलों ने पीएम को घेरने में पूरा एक महीना बरबाद कर दिया है। वहीं भाजपा जमीन पर चुनाव प्रचार कर अपने पक्ष में महौल बनाने में जुटी है। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह के भाषण के बाद यूपी में भाजपा ने सीएम कैंडीडेट पर पूरी तरह से विराम लगा दिया है। भाजपा महाराष्ट्र की तर्ज पर चुनाव लड़ेगी और अगर बहुमत मिलता है तो अमित शाह और नरेंद्र मोदी की पसंद वाले को यूपी की कुर्सी मिलेगी।
हारे तो पीएम की साख गिरना तय
यूपी चुनाव सपा, बसपा और भाजपा के लिए अहम होने वाले हैं। सपा सीएम अखिलेश यादव के नाम पर चुनाव लड़ने जा रही है, तो बसपा मायावती के बल पर यूपी फतह करने के लिए लड़ाई लड़ रही है। 2017 के चुनाव इन दोनों दलों के लिए अहम होने वाले हैं। अगर सपा हारी तो सपा के चाचा अखिलेश यादव के खिलाफ खड़े हो जाएंगे, वहीं मायावती के राजनीतिक करियर को भी बहुत बड़ा धक्का लगेगा। इसके साथ ही अगर भाजपा यूपी में कमल नहीं खिला पाई तो पार्टी में एक किनारे खड़े नेता पीएम के खिलाफ खुलकर सामने आ जाएंगे। साथ ही राज्यसभा व कुछ दिन बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को अपने कैंडीडेट को जिताने के लिए अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है।
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