बता दें की दो जुलाई 2020 को बिकरू में कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने हमला कर दिया था। इस हमले में तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी बलिदान हो गए थे।बिकरू कांड के दूसरे दिन तक हुए घटनाक्रम में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज किए थे। इसके बाद पुलिस ने विकास दुबे समेत छह आरोपितों को अलग-अलग मुठभेड़ में ढेर कर दिया था।
बिकरू कांड में कुल 80 मुकदमे हैं दर्ज, 43 आरोपित हैं चिन्हित
बिकरू कांड को लेकर एसआइटी जांच और हमले में प्रयोग होने वाले हथियारों की बरामदगी के मामलों को मिलाकर पूरे प्रकरण में कानपुर और यहां से बाहर 80 मुकदमे दर्ज किए गए। मुख्य केस में 43 आरोपित चिह्नित हुए थे, जिसमें छह मुठभेड़ में मारे गए। एक आरोपित मनु पांडेय अब तक फरार है।दो जुलाई को पुलिस पर हमले के मुख्य केस की सुनवाई कानपुर देहात की अदालत में चल रही है। मंगलवार को इस प्रकरण को लेकर एडवोकेट सौरभ भदौरिया ने पुलिस आयुक्त अखिल कुमार से मुलाकात की। सौरभ भदौरिया ने बिकरू कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के खिलाफ कई सबूत पुलिस को दिए हैं।
40 पुलिसकर्मी हैं गवाह, आठ में से 5 ने दिया विरुद्ध बयान
सौरभ ने पुलिस आयुक्त को बताया कि बिकरू कांड में 40 पुलिसकर्मी गवाह है, जिसमें से अब तक आठ के बयान हो चुके हैं। आठ में से पांच ने विरोधी बयान दे दिए हैं। एसआइ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत में कहा है कि जाते ही उन्हें गोली लग गई, जिसके बाद उन्हें कुछ भी पता नहीं। खून से सनी उनकी वर्दी कहां है, इसकी भी जानकारी उन्हें नहीं है। सुधाकर सिंह, जिनकी रिवाल्वर लूटी गई थी, उन्होंने भी किसी आरोपित को पहचानने से मना कर दिया। पुलिस ने बिकरू कांड के मुख्य केस में आरोपित बनाए गए कुंवरपाल को भी गवाह बनाया है। कुंवरपाल जेल में है और उसने भी आरोपितों को पहचानने से मना कर दिया। यही नहीं इन दोनों ने रास्ता रोकने के लिए जेसीबी लगाने की जानकारी होने से भी इन्कार कर दिया। पुलिस आयुक्त ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर पुलिसकर्मी ऐसा क्यों कर रहे हैं।सौरभ ने पुलिस आयुक्त को बताया कि पुलिस ने पिछले दिनों मनु पांडेय के खिलाफ चार्जशीट अदालत में पेश की है, लेकिन उसकी आडियो अब तक अदालत में पेश नहीं की है। ऐसे में आरोपितों को लाभ मिलने की गुंजाइश है।