नदियों के अलावा लोग नहरों में भी शवों को फेंकने में संकोच नहीं कर रहे हैं। इनको शायद अंदेशा नहीं है कि जिन लोगों ने यह काम बला टालने के लिए किया है, वह उनके ही सिर पर पड़ेगा। यूपी सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारियों को आदेश दिए हैं कि जांच की जाए कि नदियों में शव कहां से आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि यह पता किया जाए कि ये शव कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के थे।
वहीं कानपुर और उन्नाव में घाट पर जगह नहीं मिलने पर लोग गंगा नदी के किनारे ही शवों को ठिकाने लगा दे रहे हैं। इन शवों को उचित गहराई में दफन भी नहीं किया जा रहा है। तेज हवा चलने दफन सारे शव ऊपर आने लगे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में शवों को नदियों में सीधे बहा दिया जा रहा है। इनमें भी ज्यादातर शव कोरोना वायरस संक्रमण से मृत लोगों के हैं। उन्नाव के बाद कानपुर में भी लोग शव दफन कर रहे हैं। खेरेश्वर घाट पर शवों को दफनाया जा रहा है। सरकार के अंत्येष्टि के लिए पांच हजार रुपये प्रति शव देने की घोषणा सिर्फ कागजों पर ही है।
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नदियों में शवों के जल विसर्जन पर होगी कड़ी कार्रवाई
वाराणसी और पास के जिलों बलिया, गाजीपुर और चंदौली में भी शवों का नदी में प्रवाहित करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सरकार की तरफ से बलिया और गाजीपुर में शवों को प्रवाहित करने पर रोक के बाद भी लोग मान नहीं रहे हैं। वाराणसी में आज चार शव मिले हैं। गंगा नदी के अलग-अलग हिस्सों में गुरुवार को चार शव उतराते मिले हैं। उधर, गाजीपुर में भी गंगा व गोमती नदी में बड़ी संख्या में शव मिलने के बाद डीएम ने कहा कि अब नदियों में शवों के जल विसर्जन पर कड़ी कार्रवाई होगी। इस बीच बिहार बॉर्डर पर बक्सर पुलिस ने गंगा नदी में जाल लगाया है, जिससे कि बलिया से आने वाले शव को रोका जा सके।