दरअसल कानपुर देहात के गजनेर क्षेत्र के मुर्रा में वन विभाग के कंट्रोल रूम को अजगर निकलने की सूचना मिली। वनकर्मी जुनैदपुर भोगनीपुर निवासी सजीवन लाल जोकि जलालपुर पौधशाला में माली के रूप में तैनात अन्य कर्मी शंकर को साथ लेकर गांव पहुंचे। इधर ग्रामीणों ने कड़ी मसक्कत के बाद सांप को टोकरी में बंद कर लिया था। जबकि ये देश में पाई जाने वाली सर्वाधिक जहरीली प्रजाति रसल वाइपर था। सजीवन लाल ने टोकरी में बंद सांप को अजगर समझा। जैसे ही सजीवन ने टोकरी उठाई तो सांप तेजी से रेंगते हुए एक घर की ओर जाने लगा। इस पर उन्होंने इसकी पूछ पकड़कर उठा लिया। बोरी में बंद करने के दौरान सांप ने सजीवन के हांथ में तीन बार डस लिया। इसके बावजूद उन्होंने सांप को नहीं छोड़ा और बोरी में बंद कर दिया।
कुछ देर बाद जब सजीवन की हालत बिगड़ी तो उन्होंने अपने साथ गए शंकर व अन्य वन्य कर्मियों को जानकारी दी। उन्हें तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां एंटी स्नेक वेनम दवा देने के बावजूद जब हालत नहीं सुधरी तो उन्हे हैलट अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया। डीएफओ डॉ. ललित कुमार गिरि ने बताया कि रसल वाइपर को अजगर समझने के कारण गलती हुई। पकड़े गए सांप को कानपुर चिड़ियाघर भेजा गया है। रसल वाइपर अजगर जैसा ही दिखता है। भारत में पाए जाने वाली सभी प्रजतियों में रसल वाइपर सबसे अधिक जहरीला है। देखने में यह बिल्कुल अजगर जैसा नजर आता है। देश में सांप के डंसने से होने वाली सर्वाधिक मौतों का जिम्मेदार रसल वाइपर ही है। इसकी औसत लंबाई चार फीट होती है। हालांकि यह साढ़े पांच फीट तक लंबा हो सकता है।