12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, त्रिग्रहीय योग का बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें पूजा विधि और मुहूर्त
12 अप्रैल, 2021 को सोमवती अमावस्या (Somwati Amawasya) है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती कहा जाता है। इस साल 12 अप्रैल को पड़ने वाली अमावस्या साल की पहली और आखिरी अमावस्या होगी।
12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, त्रिग्रहीय योग का बन रहा दुर्लभ संयोग
कानपुर. 12 अप्रैल, 2021 को सोमवती अमावस्या (Somwati Amawasya) है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती कहा जाता है। इस साल 12 अप्रैल को पड़ने वाली अमावस्या साल की पहली और आखिरी अमावस्या होगी। सोमवती अमावस्या पर त्रिग्रहीय योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इससे सुख-समृद्धि के प्रतीक सोमवती अमावस्या का महत्व बढ़ गया है। अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनें व्रत रखकर संगम, गंगा- यमुना में डुबकी लगाकर पीपल के वृक्ष का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्नान, दान-पुण्य व देव दर्शन के लिए अहम मानी जाने वाली सोमवती अमावस्या का पुण्यकारी स्नान 12 अप्रैल को गंगा तटों पर होगा। सोमवती अमावस्या पर सुबह पांच से आठ बजे तक स्नान करने का विशेष मुहूर्त है।
सोमवती अमावस्या कब से कब तक सोमवती अमावस्या 11 अप्रैल 2021 को सुबह 06 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी और 12 अप्रैल की सुबह 08 बजे तक रहेगी। धूनी ध्यान केंद्र के आचार्य डॉ. अमरेश मिश्र के अनुसार, सोमवती अमावस्या पर अमृत योग बन रहा है। रेवती नक्षत्र और मातंग योग में होने वाले स्नान पूजन से समस्त कष्टों का नाश होता है। गंगा स्नान करने के बाद दान और भगवान विष्णु का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इस दिन अखंड सौभाग्य और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पीपल के वृक्ष पर दीप जलाकर 108 परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भीड़ वाली जगहों पर एक साथ कई लोगों के इकट्ठा होने पर मनाही है। ऐसे में जो श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए नहीं आ सकते, वह घर पर ही मिट्टी के पात्र में तुलसी दल, अक्षत, कुश, बेलपत्र डालकर स्नान कर सकते हैं।
सोमवती अमावस्या पूजन सामग्री सोमवती अमाव्सया पूजा के लिए पुष्प, माला, अक्षत, चंदन, कलश, दीपक, घी, धूप, रोली, भोग के लिए मिठाई, धागा, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, सुपारी, पान के पत्ते, और 108 की संख्या में मूंगफली का इस्तेमाल किया जाता है।