छिपाया गया आपराधिक रिकॉर्ड दरअसल विकास दुबे, उसके भाई दीपक दुबे समेत उसके साथियों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। इसके बावजूद उनके पास शस्त्र लाइसेंस थे। बिकरू कांड के बाद एसआईटी ने इसकी जांच की तो 15 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें फर्जी दस्तावेज लगाए थे। जांच में खुलासा हुआ कि किसी ने अपना आपराधिक इतिहास छिपाया तो किसी ने पहचान पत्र समेत दूसरे फर्जी दस्तावेज लगाए। हालांकि पुलिस-प्रशासन उस समय तो मामला नहीं पकड़ पाया, लेकिन अब जब एसआईटी ने प्रशासन को इस बारे में पत्र भेजकर सबूत दिए तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन में डीआईजी को डीएम ने तीन शस्त्र लिपिकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की संस्तुति की है। वैसे तो एसआईटी की जांच में 2005 में कलक्ट्रेट में तैनात रहे सभी शस्त्र लिपिक जांच के घेरे में हैं। इनमें से तत्कालीन प्रमुख दोनों शस्त्र लिपिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक शैलेश त्रिवेदी वर्तमान में डीएम कोर्ट में पेशकार हैं।
फर्जीवाड़े में इनका नाम जिन लोगों ने अपना आपराधिक इतिहास छिपाकर फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाया उनमें विकास दुबे, रामकुमार दुबे, अंजलि दुबे, दीपक, जय बाजपेई, विष्णुपाल उर्फ जिलेदार, अमित उर्फ छोटे बउवा, दिनेश कुमार, रवींद्र, अखिलेश, आशुतोष, अरविंद त्रिवेदी और उसकी पत्नी कंचन त्रिवेदी समेत कई अन्य लोग शामिल थे।