कानपुर में मुलाकातों का दौर शुरू, अपने पुराने मित्रों से मिले राष्ट्रपति, दोस्त ने सुनाए बचपन के किस्से
पदभार संभालने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) पहली बार कानपुर जिले में आए हैं। इस दौरान उनका अपने पुराने मित्रों से मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। सर्किट हाउस में राष्ट्रपति ने अपने बचपन के यारों से मुलाकात की और पुरानी यादों को ताजा करते हुए हंसी के ठहाके लगाए।
कानपुर. पदभार संभालने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) पहली बार कानपुर जिले में आए हैं। इस दौरान उनका अपने पुराने मित्रों से मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। सर्किट हाउस में राष्ट्रपति ने अपने बचपन के यारों से मुलाकात की और पुरानी यादों को ताजा करते हुए हंसी के ठहाके लगाए। उनसे मिलने के लिए सर्किट हाउस में मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है। राष्ट्रपति से मिलने वालों की सूची में सभी पुराने परिचितों का नाम शामिल है। दोस्तों में राष्ट्रपति ने आरएसएस से संघ के क्षेत्र संघचालक वीरेंद्रजीत सिंह, सहप्रांत कार्यवाह भवानी भीख तिवारी और श्याम बाबू गुप्ता से एक लंबे अंतराल के बाद मुलाकात की। साथ ही ममेरे भाई उमाशंकर और भांजे श्याम बाबू से भी मिलकर राष्ट्रपति ने उनका हाल चाल जाना।
इन लोगों ने भी की मुलाकात इसके अलावा कारोबारी सुनील सेठ, सिद्धार्थ सेठ, राजू वैद्य, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बलजीत यादव, महामंत्री राकेश तिवारी और अजय शर्मा भी आए। विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक, सीएसए के कुलपति डीआर सिंह, आदि ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की।
बचपन से ही सौम्य स्वभाव के हैं राष्ट्रपति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। बाल सखा ठाकुर जसवंत सिंह से राष्ट्रपति के करीबी दोस्तों में से एक हैं। बचपन की यादों को ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि रामनाथ कोविंद स्कूल जाते समय रास्ते में बालसखा के घर के बाहर रुक कर आवाज लगाते थे। वहां से दोनों साथ में स्कूल जाते। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बचपन से ही बेहद सौम्य व कम बोलने वाले रहे। वर्ष 1951 में परौंख में राम मनोहर लोहिया आए थे। उस समय दोनों लोग कक्षा दो में पढ़ते थे। पड़ोसी होने के चलते बचपन से अच्छी दोस्ती रही। दोनों एक साथ स्कूल जाते थे। दोपहर का भोजन भी साथ करते थे। इसमें अचार-पराठा, रोटी-गुड़ या कभी कभी भरवां मिर्च के साथ रोटी होती थी। स्कूल में भोजन वेला की छुट्टी होती तो नजदीक ही राजेंद्र प्रसाद के बाग के पास बने पक्के कुएं के चबूतरे पर बैठकर भोजन करते। इस दौरान मनपसंद पराठा या फिर मिर्च अचार बांट कर खाते थे।
”तुम पढ़ लिखकर बनना डीएम, मुझे करनी है खेती” जसवंत सिंह ने कहा कि वह पगडंडी से गांव से स्कूल जाते थे। एक बार कक्षा आठ की परीक्षा के समय उन्होंने रामनाथ कोविंद को मन लगाकर पढ़ने की नसीहत दी थी। इस पर रामनाथ कोविंद ने गुस्से में कह दिया था कि तुम पढ़ लिखकर डीएम बन जाना, मुझे खेती करनी है। लेकिन आज वह डीएम से आगे निकलकर राष्ट्रपति बन गए हैं। इससे बेहद प्रसन्नता होती है।
दोस्त सतीश मिश्रा से करेंगे मुलाकात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पैतृक गांव पौरांख में अपने पुराने और सबसे जिगरी दोस्त सतीश मिश्रा से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कानपुर देहात के ग्रामीण इलाके भोगनीपुर के पुखरायां निवासी सतीश मिश्रा की दोस्ती 30 साल पुरानी है। इन दिनों सतीश मिश्रा की तबीयत बेहद खराब चल रही है। अपने दोस्त सतीश के बीमार होने की जानकारी पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले अपने दोस्त का हालचाल जाना। उन्होंने वादा किया कि वक्त निकालकर वे उनसे मिलने जरूर आएंगे। अपने व्यस्त शेड्यूल की परवाह न करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने दोस्त से मिलने जा रहे हैं।