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कानपुर

चुनावी दंगल में बबुआ को पटखनी देने के लिए मुलायम तैयार, खुद संभालेंगे कमान

मुलायम सिंह यादव इस पार्टी के बनने जा रहे हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष, बेटे अखिलेश के सामने नहीं डालेंगे हथियार।

कानपुरJan 14, 2017 / 09:31 am

नितिन श्रीवास्तव

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कानपुर. सपा परिवार के बीच सुलह के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। मुलायम सिंह और अखिलेश यादव चुनाव चिन्ह साइकिल के लिए आयोग के दफ्तर पहुंच चुके हैं। यहां सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने निर्णय सुरक्षित कर लिया है। डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर विमल कुमार के मुताबिक यह लगभग तय है कि आयोग सपा का सिंबल साइकिल फ्रीज कर देगा और उन्हें नए चुनाव चिन्ह देगा। इन्हीं नए सिंबल से पिता-पुत्र को चुनाव में जाना होगा। वहीं सूत्र बताते हैं कि मुलायम सिंह ने अपने पुराने चुनाव चिन्ह हल जोतता किसान के सहारे बबुआ को पटखनी देने के लिए लोकदल से बात कर ली है। लोकदल ने मुलायम सिंह को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की हामी भर दी है। सूत्र बताते हैं कि अब मुलायम सिंह अखिलेश यादव के सामने हथियार नहीं डालेंगे बल्कि यूपी में ताबड़तोड़ 20 बड़ी रैलियां करेंगे। मुलायम सिंह की रैलियों की सारी व्यवस्था अमर सिंह, शिवपाल के कंधों पर होगी। वहीं अखिलेश यादव गुट भी चुनावी एक्शन में आ गया है और उन्हें यह पता चल गया है कि साइकिल सिंबल किसी भी कीमत पर उन्हें नहीं मिलने वाला। अखिलेश और कांग्रेस के गठबंधन की पूरी तैयारी हो गई है। नीतीश कुमार, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, डिम्पल यादव, अजीत सिंह अब अखिलेश यादव के चेहरे के तौर पर यूपी के दंगल में उतरेंगे। अगर सूत्रों की मानें तो सीटें किस दल को कितनी सीट मिलनी है ये भी अब फाइनल हो गया है और जल्द ही महागठबंधन की घोषणा हो सकती है।


पीके की मेहनत लाई रंग, महागठबंधन तय

चुनावी रणनीतिकार पीके यानि प्रशांत किशोर को 28 साल से हासिए पर चल रही कांग्रेस को खड़ा करने के लिए लगाया गया था। पीके ने एक साल से यूपी में कांग्रेस की जमीनी स्थित का आकलन कर राहुल गांधी को सपा के साथ 2017 के चुनाव में गठबंधन करने की सलाह दी थी। जिस पर कांग्रेस हाईकमान ने सपा के साथ चुनाव लड़ने के लिए हामी भर अखिलेश यादव को साधने के लिए लगा दिया था। पीके ने अखिलेश से बात करने के लिए पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को लगाया। सलमान ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल से बात की और फिर यहीं से यादवों के बीच रार की शुरुआत हो गई। विमल कुमार के मुताबिक सपा और कांग्रेस के बीत यूपी चुनाव में एक साथ उतरने की रुपरेखा बहुत पहले ही बन गई थी, जिसका ऐलान 16 तारीख को हो सकता है। इस महागठबंधन के पीछे पीके के साथ प्रियंका गांधी का भी अहम रोल रहा है। प्रियंका और डिम्पल के बीच कई दौरों की बात पीके ने करवाई और कांग्रेस को कितनी सीटें दी जाएंगी वह भी फाइनल हो गया।


मुलायम सिंह गठबंधन के थे खिलाफ

मुलायम सिंह को रामगोपाल की प्लॉनिंग की भनक लग गई थी। इसके चलते उन्होंने दिसंबर के पहले हफ्ते में उन्हें बुलाया और जमकर लताड़ा था। प्रोफेसर ने दो टूक कह दिया था कि अगर नेता जी आप ऐसे अड़े रहे तो हमें बड़ा फैसला लेने पर मजबूर होना पड़ेगा। प्रोफेसर के साथ ही अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह को कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए बहुत मनाया, पर वह नहीं माने और दोनों को सपा से निकाल दिया। शिवपाल ने इसी दौरान कैंडीडेटों की घोषणा कर गठबंधन के लिए सारे दरबाजे बंद कर दिए। यहीं से सपा दो धड़े में बंट गई। विमल कुमार की मानें तो आयोग सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल फ्रीज कर देगा। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह को आयोग नए सिंबल देगा। विमल कुमार ने बताया कि अखिलेश गुट कांग्रेस के साथ तो मुलायम सिंह अपने पुराने चुनाव चिन्ह हल जोतता किसान के सहारे यूपी के दंगल में दो-दो हाथ करते हुए नजर आएंगे। सूत्र यहां तक बताते हैं कि लोकदल का राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को बनाया जा सकता है और उनकी आगवाई में यूपी चुनाव लड़ा जा सकता है।


धरती पुत्र के नाम से पुकारे जाते थे मुलायम सिंह

मुलायम सिंह यादव को कानपुर जोन के इटवा में सैफई के किसान नेता के रुप में 80 के दशक में लोग जानते थे। किसान इसी के चलते मुलायम सिंह यादव को धरती पुत्र जैसे नामों से पुकारते थे। मुलायम सिंह लेकदल में कई साल रहे और हल जोतता किसान चुनाव चिन्ह पर विधायक चुने गए और मंत्री बनाए गए। मुलायम सिंह का इतना रुतबा था कि किसान उन्हें अपना मसीहा समझने लगे थे। 90 के दशक में मुलायम किसान नेता के चोले से बाहर निकले और देश की राजनीति में पैर पसारने के लिए जनता दल में चले गए। लेकिन यहां भी सबको चकित कर 25 साल पहले सपा की अधारशिला रखी। मुलायम सिंह ने बसपा के साथ गठबंधन कर दलित और ओबीसी को एककर चुनाव लड़ा।


मुलायम सिंह के चलते भाजपा जीती

कांग्रेस के कद्दावर व राहुल गांधी के करीबी नेता राजाराम पाल ने बताया कि अमर सिंह विरोधी दलों के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हीं के चलते पिता-पुत्र के बीच मन मुटाव हुअा है। राजाराम पाल ने कहा कि मुलायम सिंह का इतिहास रहा है कि वह संप्रदायिक ताकतों को रोकने के बजाय उन्हें जिताने में मदद करते आ रहे हैं। यही वजह है कि दो सीटों वाली भाजपा 300 के आंकड़े को छू सकी। इन्हीं के चलते बीजेपी ने यूपी में 70 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर कब्जा किया। राजाराम पाल ने बताया कि अगर कांग्रेस और अखिलेश यादव एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो बिहार की तर्ज पर यहां भी महागठबंघन की सरकार बनेगी।

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