11 साल तक मुकदमा चलता रहा। कोर्ट के आदेश के बाद मूर्तियों को थाने के मालखाने से मन्दिर समिति को दे दी गई। अभी तक मन्दिर में अन्य देवी देवताओं की पूजा हो रही थी। भगवान राम का दरबार खाली था। जब मूर्तियां गांव में बने मन्दिर में पहुंची तो लोगों ने खुशी जताई।
रूरा थानाध्यक्ष प्रवीन कुमार, हेड मुंशी राजकुमार ने मालखाने से मूर्तियों को निकालकर मंदिर समिति को सौंप दी। सर्वराकार राजेश और रामू गुप्ता ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान कराकर मूर्तियां मंदिर में स्थापित कराई जाएंगी। राजेश ने कहा, “हमारे भगवान श्रीराम हमको मिल गए। 11 साल का वनवास खत्म हो गया। इसके लिए हमें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी।