लखनऊ विकास प्राधिकरण का चौंकाने वाला फैसला, एलडीए अब नहीं बनाएगा मकान हर जगह निराशा :- श्रीलक्ष्मी कॉटसिन तीन साल पहले डिफाल्टर घोषित हो गई थी। इसके अधिग्रहण के लिए दो विदेशी कंपनियों के इनकार के बाद महाराष्ट्र की कंपनी वेलस्पन से बात चली पर सौदा लटका गया। कंपनी मालिक डॉ. एमपी अग्रवाल ने राहत के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के बाद नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल में रिवाइवल प्लान डाला था, जहां से उन्हें निराशा मिली।
वर्ष 1993 में कम्पनी बनी :- कानपुर में वर्ष 1993 में श्रीलक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड की नींव डाली गई। इसमें बुलेटप्रूफ जैकेट्स, ब्लास्टप्रूफ वाहन के अलावा कई प्रतिरक्षा उत्पाद बनाए। 2005-06 में कंपनी डेनिम कपड़े के उत्पादन में उतरी। श्री लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड पर बैंकों का तीन हजार करोड़ रुपए बकाया था। ब्याज व पेनाल्टी मिलाकर यह रकम बढ़कर करीब छह हजार करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गई है।