कानपुर की ओएफसी में तैयार की गई तोप धनुष बेहद सफल रही। इसे लेह में तीन महीने तक मोर्चे पर तैनात रखा गया। न्यूनतम ३५ डिग्री तापमान पर भी यह तोप परीक्षण में सफल रही। पूर्ण स्वदेशी तकनीक पर निर्मित धनुष ने ३१ साल पुरानी बोफोर्स को रिप्लेस कर दिया है।
देश की पहली स्वदेशी मिसाइल पिनाका के बाद यहां पिनाका-२ को भी तैयार कर लिया गया है। इसकी मारक क्षमता ६० किलोमीटर है, जबकि पिनाका की मारक क्षमता ३८ किलोमीटर ही है।
नेवी के लिए भी आर्डिनेंस फैक्ट्री ने सुपर रैपिड गन माउंट को तैयार किया है। १५५ कैलिबर की सेल्फ प्रोपेल्ड गन टैंक को भी ध्वस्त कर सकती है। अभी तक इसे इटली से आयात किया जाता था पर इसे अब कानपुर में कम लागत पर तैयार कर लिया गया है।
तीन किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के चीथड़े उड़ा देने वाली मैग मशीनगन एक मिनट में एक हजार गोलियां दागती है। इस मशीनगन की तकनीक ३५ साल पहले बेल्यिजय से आई थी, तब से इसका निर्माण किया जा रहा है।
ओएफसी और फील्डगन फैक्ट्री में कई घातक हथियार तैयार किए जाते हैं। यहां ७ किलोमीटर तक मार करने वाली एलएमजी एक बार में ६५० राउंड गोलियां दाग सकती है। यहां बना बीएमपी टैंक दुश्मन को घर में घुसकर मारता है। यहां बनी एनएसबीटी एयरक्राफ्ट हवा में तीन किलोमीटर तक मार करती है और ८०० राउंड प्रति मिनट की तेजी से गोली निकलती है।