भारत में कोरोना टीकाकरण की स्थिति काफी भयावह : मायावती इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन तो वजह नहीं ब्लैक फंगस के शोध में एक बड़ा सवाल शोधकर्ताओं के दिमाग में कौंध रहा है कि, ब्लैक फंगस के लिए कहीं इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन तो जिम्मेदार नहीं। संकट की घड़ी में ऑक्सीजन की किल्लत होने की वजह से मरीजों को इंडस्ट्रियल आक्सिजन दी गई थी। जबकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को मेडिकल ऑक्सीजन दी जाती है। मेडिकल ऑक्सीजन विशेष प्रक्रिया से तैयार की जाती है। जिसमें 99 फीसदी से अधिक शुद्धता होती है। वहीं इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का इस्तेमाल उद्योगों के लिए किया जाता है। इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, समेत कई अन्य अशुद्ध गैसें होती हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदायक होती हैं। फिलहाल इन सभी बातों खुलासा शोध में होगा।
स्टेरॉयड का शरीर पर प्रभाव कोरोना से स्वस्थ्य होने वाले मरीजों को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले रहा है। जिसमें से अधिकतर पेशेंट डायबिटीज के हैं। कोरोना के उपचार में देखा गया है कि मरीजों को बड़ी मात्रा में स्टेरॉयड दिया गया है। डायबिटीज के मरीजों में शुगर लेवल पहले ही औसत से ज्यादा होता है। स्टेरॉयड देने से मरीजों का शुगर लेवल और बढ़ गया। जिसकी वजह से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई। कोरोना से जंग जीतने के बाद डायबिटीज पेशेंट को ब्लैक फंगस अपना शिकार बना रहा है।
इन बिंदुओं पर किया जाएगा शोध :- – क्या ब्लैक फंगस के मरीजों को कोरोना हुआ था।
– फंगस का पेशेंट डायबिटीज से पीड़ित है।
– कोरोना उपचार में स्टेरॉयड दिए गए और कितनी मात्रा में दिया गया है।
– इलाज के दौरान पेशेंट को इंडस्ट्रियल ऑक्सिजन दी गई ।
– बीमारी से पहले प्रतिरोधक क्षमता कैसी थी।
– पेशेंट का लंग्स लीवर, ट्रांसप्लांट हुआ था।
– मरीजों को कैंसर या फिर कोई अन्य गंभीर बीमारी हुई थी।
– सिलिंडर से ऑक्सीजन देते समय नमी के लिए जो पानी इस्तेमाल किया गया वो कैसा था।