पहाड़ों पर छिपे दुश्मनों को ढूंढ निकालेगा इंड्योरएयर हेलीकॉप्टर, आईआईटी कानपुर ने किया तैयार, माइनस 20 डिग्री सेल्सियस में भी करेगा काम
सैन्य ठिकानों पर आए दिन दुश्मन देशों की ड्रोन सीमा के अंदर आकर जासूसी करते रहते हैं। बर्फीले और दुर्गम पहाड़ों पर छिपे देश के ऐसे दुश्मनों को तलाशना और पकड़ना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब इनका पता आसानी से लगाया जा सकता है। आईआईटी कानपुर ने एक ऐसा हेलीकॉप्टर बनाया है, जो इन्हें पकड़ेगा और सरेंडर करवा कर जमीन पर उतारेगा।
पहाड़ों पर छिपे दुश्मनों को ढूंढ निकालेगा इंड्योरएयर हेलीकॉप्टर, आईआईटी कानपुर ने किया तैयार, माइनस 20 डिग्री सेल्सियस में भी करेगा काम
पत्रिका न्यूज नेटवर्कलखनऊ. सैन्य ठिकानों पर आए दिन दुश्मन देशों की ड्रोन सीमा के अंदर आकर जासूसी करते रहते हैं। बर्फीले और दुर्गम पहाड़ों पर छिपे देश के ऐसे दुश्मनों को तलाशना और पकड़ना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब इनका पता आसानी से लगाया जा सकता है। आईआईटी कानपुर ने एक ऐसा हेलीकॉप्टर बनाया है, जो इन्हें पकड़ेगा और सरेंडर करवा कर जमीन पर उतारेगा। आईआईटी के स्टार्टअप इंड्योरएयर हेलीकॉप्टर की मदद से यह संभव होगा। ऐसे किसी भी कठिन मिशन को यह आसानी से पूरा कर लेगा। यह हेलीकॉप्टर सेना को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हेलीकॉप्टर का प्रयोग मेडिकल किट पहुंचाने और रेस्क्यू में भी किया जा सकता है। इसे आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक की देखरेख में इसे तैयार किया गया है।
लिडार तेकनीक का इस्तेमाल तीन से पांच फरवरी के बीच बेंगलुरु में एशिया के सबसे बड़े शो एयरो इंडिया 2021 का आगाज होगा। इस शो में आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इंड्योरएयर हेलीकॉप्टर को भी दिखाया जाएगा। प्रोफेसर अभिषेक के मुताबिक हेलीकॉप्टर की डिजाइन सेना को ध्यान में रखते हुए तैयार की गयी है। इसमें मेडिकल किट बॉक्स के साथ सीबीआरएनई सेंसर, लिडार तकनीक के अलावा कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग हुआ है। लिडार तकनीक के माध्यम से पहाड़, नदी या पेड़ होने के बावजूद व जमीन की हकीकत का पता लगाया जा सकेगा। यह हेलीकॉप्टर पूरी तरह से स्वदेशी है। इसे इंड्योर एयर सिस्टम (इंड्योर एयर सिस्टम एक सॉफ्टवेयर है) के तहत तैयार किया गया है।
माइनस 20 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच भी करेगा काम इंड्योरएयर हेलीकॉप्टर की विशेषता है कि यह माइनस 20 से 50 डिग्री सेल्सियस में भी काम कर सकता है। इसे इस तरह से बनाया ही गया है कि इसका प्रयोग आसानी से पहाड़ों व रेगिस्तान पर भी किया जा सके। प्रोफेसर अभिषेक के मुताबिक विशेष हेलीकॉप्टर अन्य की तरह लैंडिंग या टेकऑफ नहीं करेगा। यह वर्टिकल टेकऑफ व लैंडिंग करने से किसी भी स्थान से आसानी से उड़ान भर सकेगा। हेलीकॉप्टर का वजन महज चार किलो है।
विशेष कैमरों से तैयार हुआ है हेलीकॉप्टर रेस्क्यू व सेना को ध्यान में रखकर इसमें विशेष कैमरे लगाए गए हैं, जो सेंसर से जुड़े हैं। यह 15 किमी की दूरी से भी वीडियो डाटा आसानी से भेज सकता है। इसमें क्राउड मॉनीटरिंग के लिए भी सेंसर लगे हैं। एक बार प्रोग्रामिंग होने के बाद यह हेलीकॉप्टर उड़ता रहेगा।
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