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कानपुर

आखिर में सीटी और एमआरआई के लिए जूनियर डॉक्टर्स को जाना ही पड़ा हाईकोर्ट

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बेहद महत्वपूर्ण रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट की खींचतान बुधवार को हाईकोर्ट तक पहुंच गई. विभाग में एमडी रेडियोडायग्नोसिस कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने सीटी व एमआरआई मशीनों पर पढ़ाई नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा की कोर्ट में याचिका दायर की है.

कानपुरDec 14, 2018 / 01:54 pm

आलोक पाण्डेय

Kanpur

आखिर में सीटी और एमआरआई के लिए जूनियर डॉक्टर्स को जाना ही पड़ा हाईकोर्ट

कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बेहद महत्वपूर्ण रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट की खींचतान बुधवार को हाईकोर्ट तक पहुंच गई. विभाग में एमडी रेडियोडायग्नोसिस कर रहे जूनियर डॉक्टर्स ने सीटी व एमआरआई मशीनों पर पढ़ाई नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा की कोर्ट में याचिका दायर की है. इन जूनियर डॉक्टर्स के मुताबिक रेडियोडायग्नोसिस में इन दोनों ही नई तकनीक की पढ़ाई का कॉलेज में कोई इंतजाम नहीं है. ऐसे में जो प्राइवेट सेंटर एलएलआर हॉस्पिटल में चल भी रहा है, उसमें भी उन्हें पढ़ाई की अनुमति नहीं है. इस याचिका के बाबत पिछले दिनों हाईकोर्ट में सुनवाई भी हुई. इसमें कोर्ट ने आदेश दिया कि शासन 17 दिसंबर तक यह बताएं कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में सीटी और एमआरआई मशीन कब लगेंगी.

नहीं हैं मशीनें
मेडिकल कॉलेज में रेडियोडायग्नोसिस विभाग में पीजी की दो सीटें हैं, इसके अलावा लैब टेक्निशियन का भी कोर्स यहां चलता है. एक तरफ जहां सभी मेडिकल कॉलेजों में अब सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी मशीनें उपलब्ध हैं, वहीं मेडिकल कॉलेज में दोनों ही मशीनें नहीं लगी है. इसको लेकर काफी समय से मेडिकल छात्र मांग कर रहे हैं.

जब छात्रों ने की हड़ताल की बात तो….
पिछले दिनों इन छात्रों ने हड़ताल पर जाने की बात कही तो जेके कैंसर इंस्टीटयूट में इन मशीनों पर ट्रेनिंग व पढ़ाई की व्यवस्था की गई. इस पर एक जूनियर डॉक्टर विमल किशोर वर्मा का कहना है कि जेके कैंसर में एमआरआई की मशीन .3 टेस्ला की ही है जबकि अब इससे 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली एमआरआई मशीन का प्रचलन है. इसके अलावा सीटी स्कैन पर भी केस नहीं कर सकते यह सिर्फ माडयूलर है.
अब है ऐसी तैयारी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कुछ समय पहले शासन की ओर से 12 करोड़ रुपए एमआरआई मशीन लगाने के लिए स्वीकृत हुए थे, लेकिन डॉलर की कीमतों में बदलाव के चलते मशीन की खरीददारी नहीं हो सकी. इसके बाद पैसा शासन में वापस चला गया. कहने को तो अनुबंध के आधार पर एलएलआर हॉस्पिटल में प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर एमआरआई व सीटी स्कैन जांच कर रहा है, लेकिन यहां पढऩे की सुविधा नहीं है और इसका अनुबंध भी खत्म हो गया है. अब पीपीपी मोड पर यहां सीटी स्कैन मशीन लगाने को लेकर प्रयास हो रहे हैं. हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, डीजीएमई व सरकार को पार्टी बनाया गया है.

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