कानपुर। 27 साल से यूपी के साथ कानपुर जिले में अपने अस्तित्व को लेकर कांग्रेस जद्दोजहद कर रही है। इसी दौरान सोमवार को उसे तगड़ा झटका लगा। बिठूर विधानसभा के दावेदार व ग्रामीण जिलाध्यक्ष अभिजीत सिंह सांगा ने कलम का दामन थाम लिया। सांगा के भाजपा में चले जाने से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2012 के चुनाव में 3 हजार मतों हारने वाले सांगा छात्र राजनीति से आए थे, जबकि इनकी मां सपा से ब्लॉक प्रमुख रही हैं।
अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस के गठबंधन होने के चलते कानपुर जिले की कांग्रेस के टूटने के आसार पांच माह पहले से ही शुरू हो गई थी। कांग्रेसियों ने सपा के साथ गठबंधन का खुलेआम विरोध दर्ज कर सोनिया गांधी तक से जाकर मिले थे। लेकिन अंदरखाने गठबंधन हो जाने की जानकारी मिलते ही कांग्रेसी काफी निराश थे। इसी के तहत बिठूर से कांग्रेस के 2012 के रनर रहे अभिजीत सांगा ने दिल्ली में भाजपा प्रदेश केशव प्रसाद मौर्या की मौजूदगी में भगवा रंग धारण कर लिया।
कांग्रेस का यूपी में नहीं हो सकता उदय
भगवा रंग ग्रहण करते ही सांगा के सुर भी बदल गए। पत्रिका से खास बातचीत के दौरान सांगा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाई साल में जो कार्य किए हैं, उससे हम जैसे युवा नेता खास प्रभावित हुए हैं। कांग्रेस एक वंशवादी पार्टी है, वहां पर सिर्फ में गिने चुने लोग की नीति बनाते हैं। यूपी में मोदी जी के चेहरे के दम पर चुनावी दंगल में उतरने जा रहे हैं और 2017 में भाजपा की सरकार बनाएंगे।
शून्य पर सिमट जाएगी कांग्रेस
अभिजीत सांगा ने बताया कि जिले की 14 सीटों में से 2012 में एक सीट कांग्रेस ने जीती थी, जो 2017 के चुनाव में वह भी उसके हाथों से निकल जाएगी। आने वाले कुछ दिनों में कांग्रेस के और नेता भाजपा में शामिल होंगे। सांगा ने कहा कि वह भाजपा में टिकट के चलते नहीं आए, बल्कि पीएम की वजह से आए हैं। अगर टिकट मिलता है तो वह चुनाव में उतरेंगे, नहीं मिलता तो भी बिठूर से कमल ही खिलेगा। सांगा ने बताया कि अखिलेश यादव जो अपने पिता जी के नहीं हो सके वह राहुल गांधी के क्या होंगे।
सपा और कांग्रेसी छोड़ सकते हैं साथ
जिस तरह से सपा में जंग चल रही है, इससे कई सपाई व कांग्रेसी नेता भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश गुट के साथ गठबंधन के बाद कई सपा नेता कमल का दामन थाम सकते हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ग्रामीण की एक कद्दावर नेता के भी भाजपा में शामिल होने की बात सामने आ रही है। वहीं सपा एक सिटिंग विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस शहर और ग्रामीण से तीन सीटों पर जीत सकती थी। सांगा के भाजपा में चले जाने से हाथ का पंजा कमजोर होगा और इसका असर जिले की 14 सीटों पर सीधे पड़ेगा।
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