चुनावी लाभ उठाने में जुटे राजनीतिक दल कानपुर के चर्चित बिकरू कांड याद होगा। विकास दुबे और उसके गुर्गो ने 8 पुलिस वालों की नृशंस हत्या कर दी थी। इसी मामले में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे जेल में बंद है। खुशी दुबे को जब जेल में बंद किया गया तो वह नाबालिग थी। इसके बावजूद खुशी दुबे को रिहा नहीं किया गया। और मां समेत सभी परजिन उसकी रिहाई की गुहार कर रहे हैं। और दूसरी तरफ तमाम राजनीतिक दल चुनावी माहौल को गरम करने के लिए चुनावी लाभ उठाने में जुटे हैं।
बेटी की रिहाई चाहिए खुशी दुबे की मां गायत्री तिवारी का कहना है कि, स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव से फोन पर बात करवाई थी। जिसमें उन्होंने चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पेश किया पर हमने नकार दिया। मां गायत्री तिवारी कहना है कि, बेटी के लिए न्याय चाहिए। उन्हें राजनीति नहीं करनी। खुशी दुबे के साथ जेल के भीतर हो रही प्रताड़ना उन्हें रह रह कर परेशान कर रही है।
न्याय दिलाकर ही रहेंगे – कांग्रेस कांग्रेस के कानपुर नगर ग्रामीण जिला अध्यक्ष अमित पांडे गोलमोल जवाब देते हुए कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने इस बाबत परिजनों से संपर्क साधा गया पर परिजन भयभीत और डरे हुए हैं कि उन्होंने चुनावी मैदान में उतरने से इनकर कर दिया। अमित पांडे का कहना है कि, खुशी दुबे और उसके परिजनों को न्याय दिलाकर ही रहेंगे।
बसपा और सपा को भी ना बताया जा रहा कि खुशी दुबे के परिजनों का कहना है कि, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के एक पूर्व ब्राह्मण मंत्री ने उनको चुनावी राजनीति में उतारने के संबंध में न सिर्फ बयान दे चुकी हैं बल्कि पर्दे के पीछे से उनकी मदद करने का संदेश भी भेज चुकी है लेकिन परिजन इन प्रस्तावों को नकार चुके हैं।