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कानपुर

असलहा लाइसेंस का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए यूपी में लागू होगा आर्म्स रजिस्टर फॉर्मेट, हर महीने डीएम या एडीएम करेंगे सत्यापन

बड़े पैमाने पर होने वाले असलहा लाइसेंस (Arms Licence) फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए पूरे प्रदेश में आर्म्स रजिस्टर फार्मेट (Arms Register Format) लागू किया जाएगा

कानपुरFeb 02, 2021 / 09:40 am

Karishma Lalwani

आर्म्स लाइसेंस का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए यूपी में लागू होगा आर्म्स रजिस्टर फॉर्मेट, हर महीने डीएम या एडीएम करेंगे सत्यापन

आर्म्स लाइसेंस का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए यूपी में लागू होगा आर्म्स रजिस्टर फॉर्मेट, हर महीने डीएम या एडीएम करेंगे सत्यापन

कानपुर. बड़े पैमाने पर होने वाले असलहा लाइसेंस (Arms Licence) फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए पूरे प्रदेश में आर्म्स रजिस्टर फार्मेट (Arms Register Format) लागू किया जाएगा। एसआईटी ने इसकी पहल की है। इसके तहत एक तरह का फॉर्मेट लागू होगा जिसमें पूरी जानकारी प्रशासन के पास होगी और फर्जीवाड़ा रुक सकेगा। दरअसल, प्रदेश के हर जिले में अलग-अलग तरह से असलहा रजिस्टर तैयार होता है। बेहतर ढंग से इसे न तैयार करने की वजह से फर्जीवाड़े की संभावना रहती है। प्रशासन के पास असलहा लाइसेंसधारक की पूरी जानकारी भी नहीं होती हैं। ऐसे में फर्जीवाड़ा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे रोकने की अब तैयारी है। यूपी के कानपुर शहर से इसकी शुरुआत की गई है।
फॉर्मेट में शामिल होंगी ये जानकारियां

एसआईटी ने शासन को यूपी में एक असलहा रजिस्टर सिस्टम लागू करने की सिफारिश की है। इससे असलहे का लाइसेंस लेने वाले की हर जानकारी प्रशासन के पास होगी। उस रजिस्टर को देखकर फर्जीवाड़े की संभावना भी खत्म हो जाएगी। इसकी शुरुआत कानपुर से की गयी है लेकिन जल्द ही यह हर जिले में लागू होगा। एसआईटी के मुताबिक इसके लिए फॉर्मेट तैयार होगा जो असलहा रजिस्टर में छपा रहेगा। नाम-पता, पुरानी व वर्तमान फोटो, परिवार का वर्णन, असलहे का प्रकार, खरीदने का साल, कारतूस की संख्या, परिवार के दो सदस्यों का ब्योरा बतौर गवाही, उनका पूरा ब्योरा, यूनिक आईडी नंबर आदि की जानकारी उसमें शामिल होगी।
अफसरों के सामने होगी जानकारी

एसआईटी प्रभारी देवरंजन वर्मा के अनुसार, हर जिले में अलग-अलग असलहा रजिस्टर चलता है। इससे आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती है। एसआईटी एक असलहा रजिस्टर फॉर्मेट की संस्तुति करेगी। शुरुआत कानपुर से होगी जो आगे चलकर पूरे यूपी में लागू होगी। फॉर्मेट में सत्यापन का भी एक कॉलम होगा जिसकी जिम्मेदारी एडीएम या डीएम के पास होगी। एडीएम या डीएम हर महीने सत्यापन करेंगे। अगर अफसर बदलते भी हैं, तब भी बाबूओं का रजिस्टर खेल नहीं चल सकेगा। हर जानकारी अफसरों के सामने होगी।
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