हलमंडी मूलरूप से यूपी के संभल जिले का निवासी उस दौरान कानपुर में तीन दिन रुका था। हलमंडी के निर्देश के बाद से दोनो आतंकियों ने शहर की जानकारियां जुटाना शुरू किया और संगठन से लोगों को जोड़ने की तैयारी शुरू की। जानकारी यह भी मिली कि पिछले दिनों कानपुर आकर मिनहाज ने ऐसे सिमकार्ड का इस्तेमाल किया, जिसको सुरक्षा एजेंसियों ने सर्विलांस पर लगा रखा था। जैसे ही बातचीत करने के लिए वह सिमकार्ड एक्टिव हुआ तो दोनों को लखनऊ में दबोच लिया गया। एक्यूआइएस कमांडर उमर हलमंडी मूलतः यूपी के संभल जिले का रहने वाला है, लेकिन उसका अधिकांश समय पाकिस्तान व अफगानिस्तान बार्डर पर व्यतीत होता है। हलमंडी का वास्तविक नाम सैयद अख्तर है।
करीब 23 साल पहले हलमंडी ने छोड़ दिया था देश बताया जा रहा है कि करीब 23 साल पहलेे हलमंडी ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद से पाकिस्तान में ही रहकर आतंकी गतिविधियों में लिप्त है। काफी शातिर होने की वजह से वह अलकायदा कमांडर अल जवाहिरी का बहुत खास है। पूछताछ में एक खास बात सामने आई कि इनके गिरोह में स्लम एरिया की रहने वाली पनकी की तीन महिलाएं भी हैं। जिनके द्वारा दोनों आतंकी मानव बम के इंतजाम में लगे थे। इन महिलाओं की आतंकियों से फोन पर बात होते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने भी सुना है। दोनो ओर से कोडिंग में बात होती थीं, जिससे उनके मंसूबे समझना मुश्किल था। लखनऊ में आतंकियों के गिरफ्तार होते ही महिलाएं भी गायब हो गई हैं।