शहर सहित आसपास के कई जनपदों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पार पहुंच गया है। जिसकी वजह से खुलने में निकलने और रहने वालों को दिन भर पसीना निकल रहा है। इससे शरीर में पानी और नमक की कमी होने से इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस हो सकता है। कोरोना संक्रमण होने पर अगर लू (हीट स्ट्रोक) और गर्मी लगी (हीट एग्जॉर्शन) तो यह जानलेवा हो सकता है।
डॉक्टरों के मुताबिक इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेेंस से प्रतिरोधक क्षमता का लेवल नीचे आ जाता है जिससे कोई भी संक्रमण अधिक घातक हो सकता है। डाक्टरों ने शरीर में पानी की कमी न होने देने की सलाह दी है। जिन कोरोना संक्रमित लोगों में रोग के अभी कोई लक्षण नहीं उभरे हैं, उन्हें गर्मी लगने पर रोग के गंभीर लक्षण उभर सकते हैं।
मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा और डॉ. ब्रजेश कुमार का कहना है कि गर्मी लगने पर मस्तिष्क में तापमान नियंत्रित करने वाला सिस्टम ध्वस्त हो जाता है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण अधिक घातक हो सकता है। गर्मी से बचाव अधिक जरूरी है।
जब भी घर से बाहर निकलें तो चेहरे और सिर पर अंगोछा लपेट लें। थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें, शरीर में पानी की कमी न होने पाए। ठंडे स्थान से अचानक धूप में न जाएं। सादा और हल्का खाना खाएं, लिक्विड डाइट लें तो बेहतर। डायबिटीज न हो तो शिकंजी, शरबत पिएं और हाई ब्लड शुगर है तो लोग पना बनाकर पी सकते हैं। इसके अलावा कॉटन के कपड़े पहनें और शरीर ढक कर बाहर निकलें तो आपका गर्मी और कोरोना वायरस से बचाव हो सकता है।