बताते चलें कि संयुक्त गोशाला में 47 गायों के रखने की व्यवस्था है। इसमें प्रशासन की ओर से जेवा के ग्राम प्रधान को 26 और बसीरापुर भाट के ग्राम प्रधान को 24 गायों की जिम्मेदारी दी गई थी। मगर यह गोशाला प्रशासनिक लापरवाही के कारण बूचड़खाने में तब्दील हो गई। भूख-प्यास और तेज धूप से एक-एक कर गाय तिल-तिल कर मरने लगीं। ग्रामीणों का दावा है कि इसकी जानकारी दोनों ग्राम प्रधान और सचिवों को दी गई, मगर किसी ने कोई सुध नहीं ली।
बीते दिनों गांव के ही एक व्यक्ति ने सपा नेता नवाब सिंह यादव को गोशाला में मवेशियों की मौत होने की जानकारी दी। कुछ ही देर में सपाई गोशाला पहुंच गए। गोशाला के पीछे छह मवेशियों के शव झाड़ियों में पड़े मिले। दो मवेशियों के अवशेष इधर-उधर बिखरे थे। दुर्गंध से सांस लेना दूभर था। गोशाला में सिर्फ छह मवेशी मिले। इनमें से एक मरणासन्न स्थिति में था। दो उठने की हालत में नहीं थे। चरही में सूखा भूसा पड़ा था। पानी के इंतजाम भी नहीं थे। यह देख सपाई भड़क गए। वह प्रदेश सरकार की इस पूरी कवायद पर सवाल खड़े करने लगे। सूचना पर सदर कोतवाल विनोद मिश्रा फोर्स के साथ पहुंच गए और इन्हें शांत कराया।
देखें वीडियो… मामले को दबाने की कोशिश गोशाला में मवेशियों की मौत का मामला गरमाता देख दोनों ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने मवेशियों को गोशाला से हटवा दिया। बीमार मवेशियों को लोडर में लादकर दूसरे स्थान पर ले गये। जो मवेशी गोशाला के पीछे मृत पड़े थे, उन्हें भी पुलिस और ब्लाक अधिकारियों ने आनन-फानन में उठवाकर दूसरी जगह दफन करा दिया।
सपा नेता ने उठाए सवाल
सपा नेता नवाब सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सिर्फ चुनाव के समय ही गाय और गंगा की याद आती है। सरकार ने घूम रही गायों को प्रधान और सेक्रेटरी के माध्यम से गौशाला में तो रखवा दिया, लेकिन उनकी देखभाल नहीं की गई। यहां गाय भूखी-प्यासी मरती रहीं। गायों के चारे-पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे गोरक्षकों पर गोहत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। गोशाला में गोवंशों की देखभाल के नाम पर उनकी हत्या की जा रही है।