बाल कल्याण समिति के माध्यम से इन सभी बच्चों को परिजनों को सौंपा जाएगा। सभी की उम्र 17 साल से कम है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग रीना लारिया ने बताया कि करीब तीन माह पहले 20 नवंबर को तमिलनाडु पुलिस और वहां की महिला बाल विकास विभाग अभियान चलाया था, जिसमें अन्य राज्य के बच्चों को दलालों के माध्यम से अधिक पैसे में मजदूरी का लालच देकर जबरदस्ती काम पर लाकर उनका शोषण किया जाता है। अभियान के तहत तमिलनाडु के बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन में रेस्क्यू अभियान चलाया गया। इसमें रेलवे स्टेशन में एक दलाल को पकड़ा गया जो अपने साथ 11 नाबालिग बच्चों को जबरदस्ती काम पर ले जा रहा था। पुलिस ने उस दलाल को गिरफ्तार कर नाबालिग बच्चों को उसके चंगुल से छुड़ा लिया।
तीन माह लगे बच्चों को लाने में
पूछताछ में नाबालिग बच्चों ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के रहने वाले हैं। महिला बाल विकास विभाग तमिलनाडु ने बालक कल्याण समिति में इनको सौंपकर बच्चों की पूरी जानकारी मांगने लगी जिससे बच्चों को उनके परिजनों तक पहुंचाया जा सके। तीन माह बाद वहां की महिला बाल विकास विभाग और पुलिस की टीम बच्चों को बुधवार को कांकेर लेकर पहुंची और महिला बाल विकास विभाग को सौंप दिया। इनमें 9 बच्चियां और 2 बच्चे हैं।
आमाबेड़ा क्षेत्र की 8 किशोरियां
पूछताछ में इन्होंने ने बताया कि वे आमाबेड़ा क्षेत्र के रहने वाले हैं। एक स्थानीय दलाल से उनकी जान पहचान होने के और 350 रुपए मजदूरी देने का प्रलोभन देकर अपने साथ तमिलनाडु ले जाने की बात कही थी। तीन माह पहले नवम्बर में वे लोग घर से बिना बताए दलाल के साथ तमिलनाडु निकल गए। इसमें तमिलनाडु का एक दलाल भी सक्रिय था।